Go To Mantra

आ यः सोमे॑न ज॒ठर॒मपि॑प्र॒ताम॑न्दत म॒घवा॒ मध्वो॒ अन्ध॑सः। यदीं॑ मृ॒गाय॒ हन्त॑वे म॒हाव॑धः स॒हस्र॑भृष्टिमु॒शना॑ व॒धं यम॑त् ॥२॥

English Transliteration

ā yaḥ somena jaṭharam apipratāmandata maghavā madhvo andhasaḥ | yad īm mṛgāya hantave mahāvadhaḥ sahasrabhṛṣṭim uśanā vadhaṁ yamat ||

Mantra Audio
Pad Path

आ। यः। सोमे॑न। ज॒ठर॑म्। अपि॑प्रत। अम॑न्दत। म॒घऽवा॑। मध्वः॑। अन्ध॑सः। यत्। ई॒म्। मृ॒गाय॑। हन्त॑वे। म॒हाऽव॑धः। स॒हस्र॑ऽभृष्टिम्। उश॒ना॑। व॒धम्। यम॑त् ॥२॥

Rigveda » Mandal:5» Sukta:34» Mantra:2 | Ashtak:4» Adhyay:2» Varga:3» Mantra:2 | Mandal:5» Anuvak:3» Mantra:2


Reads times

SWAMI DAYANAND SARSWATI

अब विद्वद्विषय में पाक के गुणों को कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे मनुष्यो ! (यः) जो (उशना) कामना करता हुआ (मघवा) बहुत धन से युक्त (सोमेन) सोमलता से उत्पन्न रस से (जठरम्) उदर की अग्नि को (आ, अपिप्रत) अच्छे प्रकार पूर्ण करे और (मध्वः) मधुर आदि गुणों से युक्त (अन्धसः) अन्न आदि का भोग करके (अमन्दत) आनन्द करे और (यत्) जो (महावधः) अत्यन्त नाश करनेवाला (मृगाय) हरिण को (हन्तवे) मारने के लिये (सहस्रभृष्टिम्) हजारों दहन जिससे उस (वधम्) वध को (ईम्) सब प्रकार से (यमत्) देवे, वह सब सुख को प्राप्त होता है ॥२॥
Connotation: - जो मनुष्य वैद्यकशास्त्र की रीति से सोमलता आदि ओषधियों के रस के साथ संस्कारयुक्त किये गये अन्नों का भोग करते हैं, वे अतुल सुख को प्राप्त होते हैं ॥२॥
Reads times

SWAMI DAYANAND SARSWATI

अथ विद्वद्विषये पाकगुणानाह ॥

Anvay:

हे मनुष्या ! य उशना मघवा सोमेन जठरमापिप्रत मध्वोऽन्धसो भुक्त्वामन्दत यद्यो महावधो मृगाय हन्तवे सहस्रभृष्टिं वधमीं यमत् सः सर्वं सुखं लभते ॥२॥

Word-Meaning: - (आ) समन्तात् (यः) (सोमेन) सोमलतोद्भवेन (जठरम्) उदराग्निम् (अपिप्रत) पूरयेत् (अमन्दत) आनन्देत् (मघवा) बहुधनः (मध्वः) मधुरादिगुणयुक्तस्य (अन्धसः) अन्नादेः (यत्) यः (ईम्) सर्वतः (मृगाय) मृगम् (हन्तवे) हन्तुम् (महावधः) महान् वधो नाशनं येन (सहस्रभृष्टिम्) भृष्टयो भञ्जनानि दहनानि यस्मात्तम् (उशना) कामयमानः (वधम्) (यमत्) नियच्छेत् ॥२॥
Connotation: - ये मनुष्या वैद्यकशास्त्ररीत्या सोमलताद्योषधिरसेन सह संस्कृतान्यन्नानि भुञ्जते तेऽतुलं सुखमाप्नुवन्ति ॥२॥
Reads times

MATA SAVITA JOSHI

N/A

Word-Meaning: - N/A
Connotation: - जी माणसे वैद्यकशास्त्राच्या रीतीने सोमलता इत्यादी औषधींच्या रसाबरोबर योग्य आहार करतात, ती अतुल सुख प्राप्त करतात. ॥ २ ॥