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आयं ज॑ना अभि॒चक्षे॑ जगा॒मेन्द्रः॒ सखा॑यं सु॒तसो॑ममि॒च्छन्। वद॒न्ग्रावाव॒ वेदिं॑ भ्रियाते॒ यस्य॑ जी॒रम॑ध्व॒र्यव॒श्चर॑न्ति ॥१२॥

English Transliteration

āyaṁ janā abhicakṣe jagāmendraḥ sakhāyaṁ sutasomam icchan | vadan grāvāva vedim bhriyāte yasya jīram adhvaryavaś caranti ||

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Pad Path

आ। अ॒यम्। ज॒नाः॒। अ॒भि॒ऽचक्षे॑। ज॒गा॒म॒। इन्द्रः॑। सखा॑यम्। सु॒तऽसो॑मम्। इ॒च्छन्। वद॑न्। ग्रावा॑। अव॑। वेदि॑म्। भ्रि॒या॒ते॒। यस्य॑। जी॒रम्। अ॒ध्व॒र्यवः॑। चर॑न्ति ॥१२॥

Rigveda » Mandal:5» Sukta:31» Mantra:12 | Ashtak:4» Adhyay:1» Varga:31» Mantra:2 | Mandal:5» Anuvak:2» Mantra:12


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर उसी विषय को कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे (जनाः) प्रसिद्ध विद्वान् जनो ! जो (अयम्) यह (इन्द्रः) ऐश्वर्य्यवाला (अभिचक्षे) सब ओर से प्रसिद्ध होने को (सुतसोमम्) संपन्न की पदार्थविद्या जिसने ऐसे (सखायम्) मित्र की (इच्छन्) इच्छा करता और (ग्रावा) गर्जना से युक्त मेघ के सदृश (वदन्) उपदेश देता हुआ जन (वेदिम्) अग्नि के स्थान को (अव, आ, जगाम) प्राप्त होवे (यस्य) जिसके (जीरम्) वेग को (अध्वर्यवः) विद्यारूप यज्ञ के सम्पादक अर्थात् उक्त यज्ञ को प्रसिद्ध करनेवाले जन (चरन्ति) प्राप्त होते हैं और जो दो शिल्पविद्या को (भ्रियाते) धारण करें, उन दोनों का सदा ही आप लोग सत्कार करें ॥१२॥
Connotation: - जो जन विद्या की प्राप्ति तथा विद्या देने के लिये सम्पूर्ण जनों के साथ मित्रता करके मिलें, वे सम्पूर्ण विद्या के प्राप्त होने को समर्थ होवें ॥१२॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनस्तमेव विषयमाह ॥

Anvay:

हे जना ! योऽयमिन्द्रोऽभिचक्षे सुतसोमं सखायमिच्छन् ग्रावेव वदन् वेदिमवा जगाम यस्य जीरमध्वर्यवश्चरन्ति यौ द्वौ शिल्पविद्या भ्रियाते तौ सदैव भवन्तः सत्कुर्वन्तु ॥१२॥

Word-Meaning: - (आ) (अयम्) (जनाः) प्रसिद्धा विद्वांसः (अभिचक्षे) अभितः ख्यातुम् (जगाम) गच्छेत् (इन्द्रः) ऐश्वर्य्यवान् (सखायम्) मित्रम् (सुतसोमम्) निष्पादितपदार्थविद्यम् (इच्छन्) (वदन्) उपदिशन् (ग्रावा) गर्जनायुक्तो मेघ इव (अव) (वेदिम्) अग्निस्थानम् (भ्रियाते) धरेताम् (यस्य) (जीरम्) वेगम् (अध्वर्यवः) विद्यायज्ञसम्पादकाः (चरन्ति) ॥१२॥
Connotation: - ये मनुष्या विद्याप्राप्तये विद्यादानाय वा सर्वैः सह मैत्रीं कृत्वा सङ्गच्छेरँस्ते सर्वां विद्यां प्राप्तुं शक्नुयुः ॥१२॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - जी माणसे विद्याप्राप्तीसाठी व विद्यादानासाठी संपूर्ण लोकांशी मैत्री करतात. ती संपूर्ण विद्या प्राप्त करण्यास समर्थ असतात. ॥ १२ ॥