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स्त्रियो॒ हि दा॒स आयु॑धानि च॒क्रे किं मा॑ करन्नब॒ला अ॑स्य॒ सेनाः॑। अ॒न्तर्ह्यख्य॑दु॒भे अ॑स्य॒ धेने॒ अथोप॒ प्रैद्यु॒धये॒ दस्यु॒मिन्द्रः॑ ॥९॥

English Transliteration

striyo hi dāsa āyudhāni cakre kim mā karann abalā asya senāḥ | antar hy akhyad ubhe asya dhene athopa praid yudhaye dasyum indraḥ ||

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Pad Path

स्त्रियः॑। हि। दा॒सः। आयु॑धानि। च॒क्रे। किम्। मा॒। क॒र॒न्। अ॒ब॒लाः। अ॒स्य॒। सेनाः॑। अ॒न्तः। हि। अख्य॑त्। उ॒भे इति॑। अ॒स्य॒। धेने॒ इति॑। अथ॑। उप॑। प्र। ऐ॒त्। यु॒धये॑। दस्यु॑म्। इन्द्रः॑ ॥९॥

Rigveda » Mandal:5» Sukta:30» Mantra:9 | Ashtak:4» Adhyay:1» Varga:27» Mantra:4 | Mandal:5» Anuvak:2» Mantra:9


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर उसी विषय को कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे राजन् ! जैसे (दासः) सेवक के सदृश मेघ (स्त्रियः) स्त्रियों को (आयुधानि) तलवार आदि शस्त्रों के सदृश (चक्रे) करता है (अस्य) इसकी (अबलाः) बल से रहित (सेनाः) सेनायें है (इन्द्रः) सूर्य्य के सदृश राजा (हि) ही (मा) मुझ को (किम्) क्या (करन्) करे और जो (अन्तः) अन्तःकरण में (अख्यत्) प्रकट करता है और जिस (अस्य) इस मेघ की (उभे) दोनों अर्थात् मन्द और तीव्र (धेने) वाणी वर्तमान हैं (अथ) अनन्तर जिसको सूर्य्य (युधये) संग्राम के लिये (उप, प्र, ऐत्) समीप प्राप्त होता है, उसके सदृश वर्त्तमान (हि) निश्चित (दस्युम्) दुष्ट डाकू को राजा वश में करे ॥९॥
Connotation: - इस मन्त्र में वाचकलुप्तोपमालङ्कार है । वे ही जन दास हैं कि जिनकी स्त्रियाँ ही शत्रु के सदृश विजय को देनेवाली वर्त्तमान होवें और जैसे सूर्य्य और मेघ का सङ्ग्राम है, वैसे ही दुष्टजनों के साथ राजा का सङ्ग्राम हो ॥९॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनस्तमेव विषयमाह ॥

Anvay:

हे राजन् ! यथा दासः स्त्रिय आयुधानि चक्रेऽस्याबलाः सेनाः सन्तीन्द्रो हि मा किं करन्। योऽन्तरख्यद् यस्यास्योभे धेने वर्त्तेतेऽथ यमिन्द्रो युधय उप प्रैत् तद्वद्वर्त्तमानं हि दस्युं राजा वशं करन् ॥९॥

Word-Meaning: - (स्त्रियः) (हि) (दासः) सेवक इव मेघः (आयुधानि) अस्यादीनि शस्त्राणीव (चक्रे) करोति (किम्) (मा) माम् (करन्) कुर्य्यात् (अबलाः) अविद्यमानं बलं यासां ताः (अस्य) (सेनाः) (अन्तः) (हि) किल (अख्यत्) प्रकटयति (उभे) मन्दतीव्रे (अस्य) मेघस्य (धेने) वाचौ (अथ) (उप) (प्र) (ऐत्) प्राप्नोति (युधये) सङ्ग्रामाय (दस्युम्) (इन्द्रः) सूर्य इव राजा ॥९॥
Connotation: - अत्र वाचकलुप्तोपमालङ्कारः । त एव दासा येषां स्त्रिय एव शत्रुवद्विजयप्रदा वर्त्तेरन् यथा सूर्य्यमेघयोः सङ्ग्रामो वर्त्तते तथैव दुष्टैः सह राज्ञः सङ्ग्रामो वर्त्तताम् ॥९॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - या मंत्रात वाचकलुप्तोपमालंकार आहे. ज्यांच्या स्त्रियाच विजय मिळवून देणाऱ्या असतात तेच लोक दास असतात. जसे सूर्य व मेघाचे युद्ध होते तसेच दुष्टांबरोबर राजाचे युद्ध व्हावे. ॥ ९ ॥