Go To Mantra

तुभ्येदे॒ते म॒रुतः॑ सु॒शेवा॒ अर्च॑न्त्य॒र्कं सु॒न्वन्त्यन्धः॑। अहि॑मोहा॒नम॒प आ॒शया॑नं॒ प्र मा॒याभि॑र्मा॒यिनं॑ सक्ष॒दिन्द्रः॑ ॥६॥

English Transliteration

tubhyed ete marutaḥ suśevā arcanty arkaṁ sunvanty andhaḥ | ahim ohānam apa āśayānam pra māyābhir māyinaṁ sakṣad indraḥ ||

Mantra Audio
Pad Path

तुभ्य॑। इत्। ए॒ते। म॒रुतः॑। सु॒ऽशेवाः॑। अर्च॑न्ति। अ॒र्कम्। सु॒न्वन्ति॑। अन्धः॑। अहि॑म्। ओ॒हा॒नम्। अ॒पः। आ॒ऽशया॑नम्। प्र। मा॒याभिः॑। मा॒यिन॑म्। स॒क्ष॒त्। इन्द्रः॑ ॥६॥

Rigveda » Mandal:5» Sukta:30» Mantra:6 | Ashtak:4» Adhyay:1» Varga:27» Mantra:1 | Mandal:5» Anuvak:2» Mantra:6


Reads times

SWAMI DAYANAND SARSWATI

अब विद्वद्विषय को अगले मन्त्र में कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे विद्वन् ! जैसे (इन्द्रः) बिजुली (मायाभिः) बुद्धियों से (आशयानम्) चारों ओर शयन करते हुए (मायिनम्) निकृष्ट बुद्धिवाले और (ओहानम्) त्याग करते हुए (अहिम्) मेघ को (सक्षत्) प्राप्त होता और ताड़न करके (अपः) जलों को भूमि में गिराता है और जैसे (एते) ये (तुभ्य) आपके लिये (सुशेवाः) उत्तम सुखवाले (मरुतः) ऋत्विक् मनुष्य (अर्कम्) सत्कार करने योग्य का (अर्चन्ति) सत्कार करते हैं और (अन्धः) अन्न को (सुन्वन्ति) उत्पन्न करते हैं, वैसे (इत्) ही आपके लिये सम्पूर्ण विद्वान् जन सुख (प्र) देवें ॥६॥
Connotation: - वे ही विद्वान् जन जगत् के सुख करनेवाले होते हैं, जो सूर्य्य और मेघ के समान जगत् के सुख करनेवाले हैं तथा अपने समान दूसरों के सुख करनेवाले होते हैं ॥६॥
Reads times

SWAMI DAYANAND SARSWATI

अथ विद्वद्विषयमाह ॥

Anvay:

हे विद्वन् ! यथेन्द्रो मायाभिराशयानं मायिनमोहानमहिं सक्षद्धत्वाऽपो भूमौ निपातयति यथैते तुभ्य सुशेवा मरुतोऽर्कमर्चन्त्यन्धः सुन्वन्ति तथेत् तुभ्यं सर्वे विद्वांसस्सुखं प्र यच्छन्तु ॥६॥

Word-Meaning: - (तुभ्य) तुभ्यम्। अत्र विभक्तेर्लुक् (इत्) एव (एते) (मरुतः) ऋत्विजः (सुशेवाः) सुष्ठुसुखाः (अर्चन्ति) सत्कुर्वन्ति (अर्कम्) सत्करणीयम् (सुन्वन्ति) निष्पादयन्ति (अन्धः) अन्नम् (अहिम्) मेघम् (ओहानम्) त्यजन्तम् (अपः) जलानि (आशयानम्) यः समन्ताच्छेते तम् (प्र) (मायाभिः) प्रज्ञाभिः (मायिनम्) कुत्सिता माया प्रज्ञा विद्यते यस्य तम् (सक्षत्) समवैति (इन्द्रः) विद्युत् ॥६॥
Connotation: - त एव विद्वांसो जगतः सुखकरा भवन्ति ये सूर्य्यमेघवज्जगतः सुखकराः सन्ति स्वात्मवदन्येषां सुखकरा भवन्ति ॥६॥
Reads times

MATA SAVITA JOSHI

N/A

Word-Meaning: - N/A
Connotation: - जे सूर्य व मेघांप्रमाणे जगाला सुखी करणारे असतात व स्वतःप्रमाणेच इतरांना सुखी करणारे असतात तेच विद्वान जगाला सुखी करणारे असतात. ॥ ६ ॥