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अ॒ग्निर्द॑दाति॒ सत्प॑तिं सा॒साह॒ यो यु॒धा नृभिः॑। अ॒ग्निरत्यं॑ रघु॒ष्यदं॒ जेता॑र॒मप॑राजितम् ॥६॥

English Transliteration

agnir dadāti satpatiṁ sāsāha yo yudhā nṛbhiḥ | agnir atyaṁ raghuṣyadaṁ jetāram aparājitam ||

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Pad Path

अ॒ग्निः। द॒दा॒ति॒। सत्ऽप॑तिम्। स॒साह॑। यः। यु॒धा। नृऽभिः॑। अ॒ग्निः। अत्य॑म्। र॒घु॒ऽस्यद॑म्। जेता॑रम्। अप॑राऽजितम् ॥६॥

Rigveda » Mandal:5» Sukta:25» Mantra:6 | Ashtak:4» Adhyay:1» Varga:18» Mantra:1 | Mandal:5» Anuvak:2» Mantra:6


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर उसी विषय को कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे मनुष्यो ! वह (अग्निः) परमेश्वर वा विद्वान् (सत्पतिम्) श्रेष्ठों के पालन करनेवाले को (ददाति) देता है (यः) जो (अग्निः) अग्नि (युधा) युद्ध करती हुई सेना और (नृभिः) नायक अर्थात् अग्रणी मनुष्यों से (रघुष्यदम्) लघुगमनवान् (जेतारम्) जीतने और (अपराजितम्) नहीं हारनेवाले राजा को (अत्यम्) मार्ग को व्याप्त होते घोड़े को जैसे वैसे (सासाह) सहता है ॥६॥
Connotation: - हे विद्वानो ! जैसे ईश्वर धर्मिष्ठ जनों के लिये धर्म्मात्मा राजा को देता है और जैसे उत्तम सेना विद्वान् शूरवीर और धर्म्मात्मा सेनाध्यक्ष को प्राप्त होकर शत्रुओं को जीतती है, वैसे ही वह सब लोगों को आदर करने योग्य है ॥६॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनस्तमेव विषयमाह ॥

Anvay:

हे मनुष्याः ! सोऽग्निः सत्पतिं ददाति योऽग्निर्युधा नृभी रघुष्यदं जेतारमपराजितं राजानमत्यमिव सासाह ॥६॥

Word-Meaning: - (अग्निः) परमेश्वरो विद्वान् वा (ददाति) (सत्पतिम्) सतां पालकम् (सासाह) सहते। अत्र लडर्थे लिट्। तुजादीनामित्यभ्यासदैर्घ्यम्। (यः) (युधा) युध्यमानेन सैन्येन (नृभिः) नायकैर्मनुष्यैः (अग्निः) पावकः (अत्यम्) अतति व्याप्नोत्यध्वानमत्यमश्वम् (रघुष्यदम्) लघुगमनम् (जेतारम्) अपराजितम् ॥६॥
Connotation: - हे विद्वांसो ! यथेश्वरो धर्मिष्ठेभ्यो धर्म्मात्मानं राजानं ददाति यथा सुसेना विद्वांसं शूरवीरं धर्म्मात्मानं सेनाध्यक्षं प्राप्य शत्रून् विजयते तथैव स सर्वैर्बहु मन्तव्यः ॥६॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - हे विद्वानांनो! जसा ईश्वर धार्मिक लोकांसाठी धार्मिक राजा देतो व विद्वान शूरवीर धार्मिक सेनाध्यक्षामुळे उत्तम सेना शत्रूंना जिंकते. त्यामुळे सर्व लोकांनी त्याचा आदर केला पाहिजे. ॥ ६ ॥