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तम॑ग्ने पृतना॒षहं॑ र॒यिं स॑हस्व॒ आ भ॑र। त्वं हि स॒त्यो अद्भु॑तो दा॒ता वाज॑स्य॒ गोम॑तः ॥२॥

English Transliteration

tam agne pṛtanāṣahaṁ rayiṁ sahasva ā bhara | tvaṁ hi satyo adbhuto dātā vājasya gomataḥ ||

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Pad Path

तम्। अ॒ग्ने॒। पृ॒त॒ना॒ऽसह॑म्। र॒यिम्। स॒ह॒स्वः॒। आ। भ॒र॒। त्वम्। हि। स॒त्यः। अद्भु॑तः। दा॒ता। वाज॑स्य। गोऽम॑तः ॥२॥

Rigveda » Mandal:5» Sukta:23» Mantra:2 | Ashtak:4» Adhyay:1» Varga:15» Mantra:2 | Mandal:5» Anuvak:2» Mantra:2


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर उसी विषय को कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे (सहस्वः) बहुत बल से युक्त (अग्ने) राजन् ! जो (हि) निश्चय से (सत्यः) श्रेष्ठों में श्रेष्ठ (अद्भुतः) आश्चर्य्ययुक्त गुण, कर्म्म और स्वभाववाला जन (गोमतः) बहुत धेनु और पृथिव्यादिकों से युक्त (वाजस्य) सुख और धन आदि का (दाता) देनेवाला होवे (तम्) उस (पृतनाषहम्) सेना सहनेवाले को और (रयिम्) धन को (त्वम्) आप (आ, भर) सब ओर से धारण कीजिये ॥२॥
Connotation: - जो राजा सत्यवादी विद्वानों और विचित्र विद्यायुक्त दृढ़ और उदार अर्थात् उत्तम आशययुक्त शूरवीरों का धारण पोषण करे, वही विजय और लक्ष्मी को प्राप्त होवे ॥२॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनस्तमेव विषयमाह ॥

Anvay:

हे सहस्वोऽग्ने ! यो हि सत्योऽद्भुतो गोमतो वाजस्य दाता भवेत्तं पृतनाषहं रयिं च त्वमा भर ॥२॥

Word-Meaning: - (तम्) (अग्ने) राजन् (पृतनाषहम्) यः पृतनां सेनां सहते तम् (रयिम्) धनम् (सहस्वः) बहु सहो बलं विद्यते यस्य तत्सम्बुद्धौ (आ) (भर) (त्वम्) (हि) (सत्यः) सत्सु साधुः (अद्भुतः) आश्चर्य्यगुणकर्मस्वभावः (दाता) (वाजस्य) सुखधनादेः (गोमतः) बह्व्यो गावो धेनुपृथिव्यादयो विद्यन्ते यस्मिँस्तस्य ॥२॥
Connotation: - यो राजा सत्यवादिनो विदुषो विचित्रविद्यान् दृढानुदाराञ्छूरान् वीरान् बिभृयात् स एव विजयं श्रियं च लभेत ॥२॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - जो राजा, सत्यवादी, विद्वान आश्चर्यजनकविद्यायुक्त दृढ, उदार शूरवीरांचे धारण व पोषण करतो तोच विजय व लक्ष्मी प्राप्त करतो. ॥ २ ॥