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चि॒कि॒त्विन्म॑नसं त्वा दे॒वं मर्ता॑स ऊ॒तये॑। वरे॑ण्यस्य॒ तेऽव॑स इया॒नासो॑ अमन्महि ॥३॥

English Transliteration

cikitvinmanasaṁ tvā devam martāsa ūtaye | vareṇyasya te vasa iyānāso amanmahi ||

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Pad Path

चि॒कि॒त्वित्ऽम॑नसम्। त्वा॒। दे॒वम्। मर्ता॑सः। ऊ॒तये॑। वरे॑ण्यस्य। ते॒। अव॑सः। इ॒या॒नासः॑। अ॒म॒न्म॒हि॒ ॥३॥

Rigveda » Mandal:5» Sukta:22» Mantra:3 | Ashtak:4» Adhyay:1» Varga:14» Mantra:3 | Mandal:5» Anuvak:2» Mantra:3


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर उसी विषय को अगले मन्त्र में कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे विद्वन् ! (वरेण्यस्य) स्वीकार करने और (अवसः) कामना करने योग्य (ते) आपके सङ्ग से (इयानासः) प्राप्त होते हुए (मर्त्तासः) मनुष्य हम लोग (ऊतये) रक्षा आदि के लिये (चिकित्विन्मनसम्) विज्ञानयुक्त पुरुषों के मन के सदृश मन से युक्त (देवम्) विद्वान् (त्वा) आपको अग्नि के सदृश (अमन्महि) विशेष करके जानें ॥३॥
Connotation: - मनुष्यों को चाहिये कि सदा ही विद्वानों के सङ्ग से पदार्थविद्या का खोज करें ॥३॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनस्तमेव विषयमाह ॥

Anvay:

हे विद्वन् ! वरेण्यस्याऽवसस्ते सङ्गेनेयानासो मर्त्तासो वयमूतये चिकित्विन्मनसं देवं त्वाऽग्निमिवामन्महि ॥३॥

Word-Meaning: - (चिकित्विन्मनसम्) चिकित्वितां विज्ञानवतां मन इव मनो यस्य तम् (त्वा) त्वाम् (देवम्) विद्वांसम् (मर्त्तासः) मनुष्याः (ऊतये) रक्षणाद्याय (वरेण्यस्य) वरितुमर्हस्य (ते) तव (अवसः) कमनीयस्य (इयानासः) प्राप्नुवन्तः (अमन्महि) विजानीयाम ॥३॥
Connotation: - मनुष्यैः सदैव विद्वत्सङ्गेन पदार्थविद्यान्वेषणीया ॥३॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Word-Meaning: - N/A
Connotation: - माणसांनी सदैव विद्वानांच्या संगतीने पदार्थविद्येचे संशोधन करावे. ॥ ३ ॥