कमे॒तं त्वं यु॑वते कुमा॒रं पेषी॑ बिभर्षि॒ महि॑षी जजान। पू॒र्वार्हि गर्भः॑ श॒रदो॑ व॒वर्धाप॑श्यं जा॒तं यदसू॑त मा॒ता ॥२॥
kam etaṁ tvaṁ yuvate kumāram peṣī bibharṣi mahiṣī jajāna | pūrvīr hi garbhaḥ śarado vavardhāpaśyaṁ jātaṁ yad asūta mātā ||
कम्। ए॒तम्। त्वम्। यु॒व॒ते॒। कु॒मा॒रम्। पेषी॑। बि॒भ॒र्षि॒। महि॑षी। ज॒जा॒न॒। पू॒र्वीः। हि। गर्भः॑। श॒रदः॑। व॒वर्ध॑। अप॑श्यम्। जा॒तम्। यत्। असू॑त। मा॒ता ॥२॥
SWAMI DAYANAND SARSWATI
फिर उसी विषय को अगले मन्त्र में कहते हैं ॥
SWAMI DAYANAND SARSWATI
पुनस्तमेव विषयमाह ॥
हे युवते पेषी महिषी ! त्वं कमेतं कुमारं बिभर्षि माता यद्यमसूत जातमहमपश्यं स गर्भः पूर्वीः शरदो हि ववर्धातो जजान ॥२॥
MATA SAVITA JOSHI
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