Go To Mantra

स हि द्युभि॒र्जना॑नां॒ होता॒ दक्ष॑स्य बा॒ह्वोः। वि ह॒व्यम॒ग्निरा॑नु॒षग्भगो॒ न वार॑मृण्वति ॥२॥

English Transliteration

sa hi dyubhir janānāṁ hotā dakṣasya bāhvoḥ | vi havyam agnir ānuṣag bhago na vāram ṛṇvati ||

Mantra Audio
Pad Path

सः। हि। द्युऽभिः॑। जना॑नाम्। होता॑। दक्ष॑स्य। बा॒ह्वोः। वि। ह॒व्यम्। अ॒ग्निः। आ॒नु॒षक्। भगः॑। न। वार॑म्। ऋ॒ण्व॒ति॒ ॥२॥

Rigveda » Mandal:5» Sukta:16» Mantra:2 | Ashtak:4» Adhyay:1» Varga:8» Mantra:2 | Mandal:5» Anuvak:2» Mantra:2


Reads times

SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर उसी विषय को कहते हैं ॥

Word-Meaning: - जो (जनानाम्) मनुष्यों की (बाह्वोः) भुजाओं के (दक्षस्य) बल का (होता) देनेवाला (अग्निः) अग्नि (भगः) सूर्य्य के (न) सदृश (आनुषक्) अनुकूलता से (वारम्) स्वीकार करने और (हव्यम्) देने योग्य पदार्थ को (वि, ऋण्वति) विशेष सिद्ध करता है (सः, हि) वही (द्युभिः) धर्मयुक्त कामों से बलवान् होता है ॥२॥
Connotation: - जो विद्वान् जन अपने आत्मा के सदृश सब मनुष्यों को जान और विद्या को प्राप्त करा के उन्नति करने की इच्छा करते हैं, वे ही भाग्यशाली वर्तमान हैं ॥२॥
Reads times

SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनस्तमेव विषयमाह ॥

Anvay:

यो जनानां बाह्वोर्दक्षस्य होताऽग्निर्भगो नानुषग्वारं हव्यं व्यृण्वति स हि द्युभिर्बलिष्ठो जायते ॥२॥

Word-Meaning: - (सः) (हि) (द्युभिः) धर्म्यैः कामैः (जनानाम्) (होता) दाता (दक्षस्य) बलस्य (बाह्वोः) भुजयोः (वि) (हव्यम्) दातुमर्हम् (अग्निः) पावकः (आनुषक्) आनुकूल्येन (भगः) सूर्य्यः (न) इव (वारम्) वरणीयम् (ऋण्वति) साध्नोति ॥२॥
Connotation: - ये विद्वांसः स्वात्मवत्सर्वान् जनान् विदित्वा विद्यां प्रापय्योन्नतिं कर्त्तुमिच्छन्ति त एव भाग्यशालिनो वर्त्तन्ते ॥२॥
Reads times

MATA SAVITA JOSHI

N/A

Word-Meaning: - N/A
Connotation: - जे विद्वान लोक आपल्या आत्म्याप्रमाणे सर्व माणसांना जाणून विद्या प्राप्त करवून उन्नतीची इच्छा करतात तेच भाग्यशाली असतात. ॥ २ ॥