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ऋ॒तेन॑ ऋ॒तं ध॒रुणं॑ धारयन्त य॒ज्ञस्य॑ शा॒के प॑र॒मे व्यो॑मन्। दि॒वो धर्म॑न्ध॒रुणे॑ से॒दुषो॒ नॄञ्जा॒तैरजा॑ताँ अ॒भि ये न॑न॒क्षुः ॥२॥

English Transliteration

ṛtena ṛtaṁ dharuṇaṁ dhārayanta yajñasya śāke parame vyoman | divo dharman dharuṇe seduṣo nṝñ jātair ajātām̐ abhi ye nanakṣuḥ ||

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Pad Path

ऋ॒तेन॑। ऋ॒तम्। ध॒रुण॑म्। धा॒र॒य॒न्त॒। य॒ज्ञस्य॑। शा॒के। प॒र॒मे। विऽओ॑मन्। दि॒वः। धर्म॑न्। ध॒रुणे॑। से॒दुषः॑। नॄन्। जा॒तैः। अजा॑तान्। अ॒भि। ये। न॒न॒क्षुः ॥२॥

Rigveda » Mandal:5» Sukta:15» Mantra:2 | Ashtak:4» Adhyay:1» Varga:7» Mantra:2 | Mandal:5» Anuvak:2» Mantra:2


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

अब विद्वद्विषय को कहते हैं ॥

Word-Meaning: - (ये) जो (ऋतेन) सत्य वा परमात्मा से (ऋतम्) सत्य कारणादिक (धरुणम्) सब के धारण करनेवाले को (यज्ञस्य) सम्पूर्ण व्यवहार के (शाके) सामर्थ्य के निमित्त (परमे) उत्तम (व्योमन्) व्यापक (दिवः) सूर्य्य आदि से (धर्मन्) धर्म (धरुणे) और धारण करनेवाले में (जातैः) उत्पन्न हुए पदार्थों से (अजातान्) न उत्पन्न हुए (सेदुषः) ज्ञानवान् (नॄन्) मनुष्यों को (अभि, ननक्षुः) प्राप्त होते हैं, वे सत्यविद्या को (धारयन्त) धारण करें ॥२॥
Connotation: - वे ही मनुष्य विद्वान् हैं, जो पूर्व और आगे वर्त्तमान विद्वानों को मिलकर परमेश्वर, प्रकृति और जीव के कार्य्य की विद्या को जानते हैं ॥२॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

अथ विद्वद्विषयमाह ॥

Anvay:

य ऋतेनर्त्तं धरुणं यज्ञस्य शाके परमे व्योमन् दिवो धर्मन् धरुणे जातैरजातान् सेदुषो नॄनभि ननक्षुस्ते सत्यां विद्यां धारयन्त ॥२॥

Word-Meaning: - (ऋतेन) सत्येन परमात्मना वा (ऋतम्) सत्यं कारणादिकम् (धरुणम्) सर्वस्य धर्त्तृ (धारयन्त) (यज्ञस्य) सर्वस्य व्यवहारस्य (शाके) शक्तिनिमित्ते (परमे) प्रकृष्टे (व्योमन्) व्यापके (दिवः) सूर्य्यादेः (धर्मन्) धर्मे (धरुणे) धारके (सेदुषः) ज्ञानवतः (नॄन्) मनुष्यान् (जातैः) (अजातान्) (अभि) (ये) (ननक्षुः) प्राप्नुवन्ति। नक्षतिर्गतिकर्मासु पठितम्। (निघं०२.१४) ॥२॥
Connotation: - त एव मनुष्या विद्वांसो ये पूर्वापरवर्त्तमानान् विदुषः सङ्गत्य परमेश्वरप्रकृतिजीवकार्यविद्यां जानन्ति ॥२॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - जी माणसे प्राचीन व अर्वाचीन विद्वानांना भेटून परमेश्वर प्रकृती व जीवाच्या कार्याची विद्या जाणतात तीच माणसे विद्वान असतात. ॥ २ ॥