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तव॒ त्ये अ॑ग्ने अ॒र्चयो॒ भ्राज॑न्तो यन्ति धृष्णु॒या। परि॑ज्मानो॒ न वि॒द्युतः॑ स्वा॒नो रथो॒ न वा॑ज॒युः ॥५॥

English Transliteration

tava tye agne arcayo bhrājanto yanti dhṛṣṇuyā | parijmāno na vidyutaḥ svāno ratho na vājayuḥ ||

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Pad Path

तव॑। त्ये। अ॒ग्ने॒। अ॒र्चयः॑। भ्राज॑न्तः। य॒न्ति॒। धृ॒ष्णु॒ऽया। परि॑ऽज्मानः। न। वि॒ऽद्युतः॑। स्वा॒नः। रथः॑। न। वा॒ज॒ऽयुः ॥५॥

Rigveda » Mandal:5» Sukta:10» Mantra:5 | Ashtak:4» Adhyay:1» Varga:2» Mantra:5 | Mandal:5» Anuvak:1» Mantra:5


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

अब शिल्पविद्यविषयक विद्वानों के गुणों को कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे (अग्ने) विद्वन् ! (तव) आपके सङ्ग से जो (अर्चयः) विद्या और विनय से प्रकाशित (भ्राजन्तः) परस्पर एक-दूसरे को प्रकाशित करते हुए (धृष्णुया) न्यायपूर्वक बोलने में ढीठ विद्वान् जन (परिज्मानः) सब ओर से भूमि के राज्य से युक्त (विद्युतः) बिजुलियों के (न) सदृश (वाजयुः) अपने वेग की इच्छा करनेवाले के सदृश और (स्वानः) शब्द करते हुए (रथः) विमान आदि वाहनसमूह के (न) सदृश शिल्पविद्या को (यन्ति) प्राप्त होते हैं (त्ये) वे शीघ्र धनवान् होते हैं ॥५॥
Connotation: - इस मन्त्र में उपमालङ्कार है । जो जन यथार्थ शिल्पविद्या को जानते हैं, वे सर्वत्र व्याप्त बिजुली के समान विमान आदि वाहनों के सदृश शीघ्रगामी हो और सब प्रकार से धन को प्राप्त होकर बहुत सुख को प्राप्त होते हैं ॥५॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

अथ शिल्पविद्याविषयकविद्वद्गुणानाह ॥

Anvay:

हे अग्ने ! तव सङ्गेन येऽर्चयो भ्राजन्तो धृष्णुया विद्वांसः परिज्मानो विद्युतो न वाजयुः स्वानो रथो न शिल्पविद्यां यन्ति त्ये सद्यः श्रीमन्तो जायन्ते ॥५॥

Word-Meaning: - (तव) (त्ये) ते (अग्ने) विद्वन् (अर्चयः) विद्याविनयप्रकाशिताः (भ्राजन्तः) अन्यान् प्रकाशयन्तः (यन्ति) प्राप्नुवन्ति (धृष्णुया) प्रगल्भाः (परिज्मानः) परितो ज्मा भूमिराज्यं येषान्ते (न) इव (विद्युतः) (स्वानः) शब्दायमानः (रथः) विमानादियानसमूहः (न) इव (वाजयुः) आत्मनो वाजं वेगमिच्छुरिव ॥५॥
Connotation: - अत्रोपमालङ्कारः । ये नरो यथार्थां शिल्पविद्यां जानन्ति ते सर्वत्र व्याप्तविद्युदिव विमानादियानवत् सद्योगामिनो भूत्वा सर्वतो धनमाप्य बहुसुखं लभन्ते ॥५॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - या मंत्रात उपमालंकार आहे. जे लोक यथार्थ शिल्पविद्या जाणतात ते सर्वत्र व्याप्त असलेल्या विद्युतप्रमाणे व विमान इत्यादी वाहनांप्रमाणे शीघ्रग्रामी असतात. त्यांना सर्व प्रकारचे धन प्राप्त होऊन अत्यंत सुखाचा लाभ होतो. ॥ ५ ॥