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वेषीद्व॑स्य दू॒त्यं१॒॑ यस्य॒ जुजो॑षो अध्व॒रम्। ह॒व्यं मर्त॑स्य॒ वोळ्ह॑वे ॥६॥

English Transliteration

veṣīd v asya dūtyaṁ yasya jujoṣo adhvaram | havyam martasya voḻhave ||

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Pad Path

वेषि॑। इत्। ऊ॒म् इति॑। अ॒स्य॒। दू॒त्यम्। यस्य॑। जुजो॑षः। अ॒ध्व॒रम्। ह॒व्यम्। मर्त॑स्य। वोळ्ह॑वे॥६॥

Rigveda » Mandal:4» Sukta:9» Mantra:6 | Ashtak:3» Adhyay:5» Varga:9» Mantra:6 | Mandal:4» Anuvak:1» Mantra:6


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

अब राजविषय को अगले मन्त्र में कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे विद्वन् ! जो आप (यस्य) जिस (मर्तस्य) मनुष्य के (दूत्यम्) दूतसम्बन्धी कर्म्म को (वेषि) प्राप्त होते हो और जिसके (वोळ्हवे) प्राप्त होने के लिये (हव्यम्) ग्रहण करने योग्य (अध्वरम्) हिंसारहित व्यवहार का (उ) ही (जुजोषः) सेवन करो (इत्) वही आप (अस्य) इसके दूत होने के योग्य हैं ॥६॥
Connotation: - हे राजा लोगो ! जो पूर्ण विद्यायुक्त बहुत बोलनेवाले स्नेही और धार्मिक जन हैं और जो लोग राज्य के व्यवहार को धारण कर सकते हैं, उन शूरवीर मित्रों को समाचारप्रापक बना और राज्य के समाचारों को जान के विशेष प्रबन्ध करो ॥६॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

अथ राजविषयमाह ॥

Anvay:

हे विद्वन् ! यस्त्वं यस्य मर्त्तस्य दूत्यं वेषि यस्य वोळ्हवे हव्यमध्वरमु जुजोषः स इद्भवानस्य दूतो भवितुमर्हति ॥६॥

Word-Meaning: - (वेषि) व्याप्नोषि (इत्) (उ) (अस्य) (दूत्यम्) दूतस्य कर्म (यस्य) (जुजोषः) सेवस्व (अध्वरम्) अहिंसनीयं व्यवहारम् (हव्यम्) आदातुमर्हम् (मर्त्तस्य) मनुष्यस्य (वोळ्हवे) वोढुम् ॥६॥
Connotation: - हे राजानो ! ये पूर्णविद्याः प्रगल्भा अनुरक्ता धार्मिका जनाः सन्ति ये राज्यस्य व्यवहारं वोढुं शक्नुवन्ति ताञ्छूरवीरान् सुहृदो दूतान् सम्पाद्य राज्यसमाचारान् विज्ञाय व्यवस्थां कुरुत ॥६॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - हे राजे लोकांनो! जे पूर्ण विद्यायुक्त, प्रगल्भ, प्रसन्न व धार्मिक आहेत व जे लोक राज्य व्यवहार करू शकतात, त्या शूरवीर मित्रांना दूत बनवून राज्याचे समाचार जाणून विशेष प्रबंध करा. ॥ ६ ॥