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तमीं॒ होता॑रमानु॒षक्चि॑कि॒त्वांसं॒ नि षे॑दिरे। र॒ण्वं पा॑व॒कशो॑चिषं॒ यजि॑ष्ठं स॒प्त धाम॑भिः ॥५॥

English Transliteration

tam īṁ hotāram ānuṣak cikitvāṁsaṁ ni ṣedire | raṇvam pāvakaśociṣaṁ yajiṣṭhaṁ sapta dhāmabhiḥ ||

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Pad Path

तम्। ई॒म्। होता॑रम्। आ॒नु॒षक्। चि॒कि॒त्वांस॑म्। नि। से॒दि॒रे॒। र॒ण्वम्। पा॒व॒कऽशो॑चिषम्। यजि॑ष्ठम्। स॒प्त। धाम॑ऽभिः॥५॥

Rigveda » Mandal:4» Sukta:7» Mantra:5 | Ashtak:3» Adhyay:5» Varga:6» Mantra:5 | Mandal:4» Anuvak:1» Mantra:5


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर उसी विषय को अगले मन्त्र में कहते हैं ॥

Word-Meaning: - जो लोग (तम्) उसको अग्नि के सदृश (आनुषक्) अनुकूलता से (होतारम्) ग्रहण करनेवाले (चिकित्वांसम्) विद्वान् (रण्वम्) सुन्दर (सप्त) सात प्राण आदि (धामभिः) स्थानों से (पावकशोचिषम्) अग्नि के तेज के सदृश तेज से युक्त (यजिष्ठम्) अत्यन्त मेल करनेवाले को (ईम्) सब प्रकार से (नि, सेदिरे) प्राप्त होते हैं, वे राज्य और ऐश्वर्य से युक्त होते हैं ॥५॥
Connotation: - जो लोग बिजुलीरूप अग्नि को सब पदार्थों से निकालना जानते हैं, वे अत्यन्त सुखी होते हैं ॥५॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनस्तमेव विषयमाह ॥

Anvay:

ये तमग्निमिवानुषग्घोतारं चिकित्वांसं रण्वं सप्त धामभिः पावकशोचिषं यजिष्ठमीं निषेदिरे ते राज्यैश्वर्य्या भवन्ति ॥५॥

Word-Meaning: - (तम्) (ईम्) सर्वतः (होतारम्) ग्रहीतारम् (आनुषक्) आनुकूल्येन (चिकित्वांसम्) विद्वांसम् (नि) (सेदिरे) सीदन्ति (रण्वम्) रमणीयम् (पावकशोचिषम्) पावकस्य शोचिरिव शोचिर्दीप्तिर्यस्य तम् (यजिष्ठम्) अतिशयेन सङ्गन्तारम् (सप्त) सप्तभिः प्राणादिभिः (धामभिः) स्थानैः ॥५॥
Connotation: - ये विपुलं वह्निं सर्वेभ्यः पदार्थेभ्यो निःसारितुं जानन्ति तेऽतिसुखा भवन्ति ॥५॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - जे लोक विद्युतरूपी अग्नीला सर्व पदार्थांपासून पृथक करणे जाणतात ते अत्यंत सुखी होतात. ॥ ५ ॥