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ऋ॒तावा॑नं॒ विचे॑तसं॒ पश्य॑न्तो॒ द्यामि॑व॒ स्तृभिः॑। विश्वे॑षामध्व॒राणां॑ हस्क॒र्तारं॒ दमे॑दमे ॥३॥

English Transliteration

ṛtāvānaṁ vicetasam paśyanto dyām iva stṛbhiḥ | viśveṣām adhvarāṇāṁ haskartāraṁ dame-dame ||

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Pad Path

ऋ॒तऽवा॑नम्। विऽचे॑तसम्। पश्य॑न्तः। द्याम्ऽइ॑व। स्तृऽभिः॑। विश्वे॑षाम्। अ॒ध्व॒राणा॑म्। ह॒स्कर्तार॑म्। दमे॑ऽदमे॥३॥

Rigveda » Mandal:4» Sukta:7» Mantra:3 | Ashtak:3» Adhyay:5» Varga:6» Mantra:3 | Mandal:4» Anuvak:1» Mantra:3


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर उसी विषय को अगले मन्त्र में कहते हैं ॥

Word-Meaning: - जो मनुष्य लोग (विश्वेषाम्) सम्पूर्ण (अध्वराणाम्) नहीं हिंसा करने योग्य यज्ञों के (स्तृभिः) नक्षत्रों से (द्यामिव) सूर्य्य के सदृश (दमेदमे) घर-घर में (हस्कर्त्तारम्) प्रकाश करनेवाले (विचेतसम्) जिससे विगतचित्त होता (ऋतावानम्) जिसमें सत्य विद्यमान उसको (पश्यन्तः) देखते हुए ग्रहण करे हुए हैं, वे उत्तम प्रकार शोभित होते हैं ॥३॥
Connotation: - इस मन्त्र में उपमालङ्कार है। जो लोग चेतनारहित कारण से युक्त प्रत्येक गृह के प्रवेश करनेवाले को जानते हैं, वे सूर्य के प्रकाश में चन्द्र आदिकों के सदृश संसार में प्रकाशित होते हैं ॥३॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनस्तमेव विषयमाह ॥

Anvay:

ये मनुष्या विश्वेषामध्वराणां स्तृभिर्द्यामिव दमेदमे हस्कर्त्तारं विचेतसमृतावानं पश्यन्तो जगृभिरे ते सुशोभन्ते ॥३॥

Word-Meaning: - (ऋतावानम्) ऋतं सत्यं विद्यते यस्मिँस्तम् (विचेतसम्) विगतं चेतो यस्मात्तम् (पश्यन्तः) (द्यामिव) सूर्यमिव (स्तृभिः) नक्षत्रैः (विश्वेषाम्) सर्वेषाम् (अध्वराणाम्) अहिंसनीयानां यज्ञानाम् (हस्कर्त्तारम्) प्रकाशकर्त्तारम् (दमेदमे) गृहे गृहे ॥३॥
Connotation: - अत्रोपमालङ्कारः। ये चेतनारहितं कारणयुक्तं प्रतिगृहं प्रकाशयन्तं जानन्ति ते सूर्य्यप्रकाशे चन्द्रादीनीव जगति प्रकाशन्ते ॥३॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - या मंत्रात उपमालंकार आहे. जे लोक चेतनारहित कारणांनीयुक्त गृहाला प्रकाशित करणाऱ्याला जाणतात, ते सूर्याच्या प्रकाशात चंद्र जसा तसे जगात प्रकाशित होतात. ॥ ३ ॥