Go To Mantra

तव॒ त्ये अ॑ग्ने ह॒रितो॑ घृत॒स्ना रोहि॑तास ऋ॒ज्वञ्चः॒ स्वञ्चः॑। अ॒रु॒षासो॒ वृष॑ण ऋजुमु॒ष्का आ दे॒वता॑तिमह्वन्त द॒स्माः ॥९॥

English Transliteration

tava tye agne harito ghṛtasnā rohitāsa ṛjvañcaḥ svañcaḥ | aruṣāso vṛṣaṇa ṛjumuṣkā ā devatātim ahvanta dasmāḥ ||

Mantra Audio
Pad Path

तव॑। त्ये। अ॒ग्ने॒। ह॒रितः॑। घृ॒त॒ऽस्नाः। रोहि॑तासः। ऋ॒जु॒ऽअञ्चः॑। सु॒ऽअञ्चः॑। अ॒रु॒षासः॑। वृष॑णः। ऋ॒जु॒ऽमु॒ष्काः। आ। दे॒वऽता॑तिम्। अ॒ह्व॒न्त॒। द॒स्माः॥९॥

Rigveda » Mandal:4» Sukta:6» Mantra:9 | Ashtak:3» Adhyay:5» Varga:5» Mantra:4 | Mandal:4» Anuvak:1» Mantra:9


Reads times

SWAMI DAYANAND SARSWATI

अब प्रजा के ईश्वर विषय को अगले मन्त्र में कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे (अग्ने) राजन् ! जो (तव) आपकी (रोहितासः) बढ़ानेवाली (घृतस्नाः) जिनसे घृत वा जल शुद्ध और (ऋज्वञ्चः) सीधा सत्कार करते तथा (स्वञ्चः) उत्तम प्रकार चलते वा प्राप्त होते हैं वह (हरितः) अङ्गुली (वृषणः) बलिष्ठ (ऋजुमुष्काः) सरल मार्ग को चलनेवाले (दस्माः) दुःख के नाशकर्त्ता (अरुषासः) उत्तम प्रकार शिक्षित घोड़ों के सदृश (देवतातिम्) विद्वानों को (आ, अह्वन्त) बुलाते और जो इन से कर्म्मों को करना जानते हैं, वह अङ्गुली और (त्ये) वे मनुष्य आपको संप्रयुक्त करने योग्य हैं ॥९॥
Connotation: - इस मन्त्र में वाचकलुप्तोपमालङ्कार है। जो लोग घोड़ों के सदृश अपनी अङ्गुलियों से कर्म्मों को करके ऐश्वर्य्य की वृद्धि करते हैं, वे दुःखों से रहित होते हैं ॥९॥
Reads times

SWAMI DAYANAND SARSWATI

अथ प्रजाया ईश्वरत्वमाह ॥

Anvay:

हे अग्ने ! यास्तव रोहितासो घृतस्ना ऋज्वञ्चः स्वञ्चो हरितो वृषण ऋजुमुष्का दस्मा अरुषास इव देवतातिमाह्वन्त। य एताभिः कर्म्माणि कर्तुं जानन्ति तास्त्ये च त्वया सम्प्रयोजनीयाः ॥९॥

Word-Meaning: - (तव) (त्ये) ते (अग्ने) राजन् (हरितः) अङ्गुलयः। हरित इत्यङ्गुलिनामसु पठितम्। (निघं०२.५)। (घृतस्नाः) याभिर्घृतमाज्यमुदकं वा स्नान्ति ताः (रोहितासः) वर्द्धिकाः (ऋज्वञ्चः) याभिर्ऋजुमञ्चन्ति (स्वञ्चः) याभिस्सुष्ठ्वञ्चन्ति गच्छन्ति प्राप्नुवन्ति वा (अरुषासः) सुशिक्षितास्तुरङ्गाः (वृषणः) बलिष्ठाः (ऋजुमुष्काः) य ऋजुं मार्गमुष्णन्ति ते (आ) (देवतातिम्) देवान् (अह्वन्त) आह्वयन्ते (दस्माः) दुःखोपक्षयितारः ॥९॥
Connotation: - अत्र वाचकलुप्तोपमालङ्कारः। येऽश्वैरिव स्वाङ्गुलिभिः कर्म्माणि कृत्वैश्वर्यमुन्नयन्ति ते क्षीणदुःखा जायन्ते ॥९॥
Reads times

MATA SAVITA JOSHI

N/A

Word-Meaning: - N/A
Connotation: - या मंत्रात वाचकलुप्तोपमालंकार आहे. जे लोक अश्वाप्रमाणे आपल्या बोटांनी (हातांनी) कौशल्ययुक्त कार्य करून ऐश्वर्य वाढवितात ते दुःखरहित होतात. ॥ ९ ॥