च॒त्वारि॒ शृङ्गा॒ त्रयो॑ अस्य॒ पादा॒ द्वे शी॒र्षे स॒प्त हस्ता॑सो अस्य। त्रिधा॑ ब॒द्धो वृ॑ष॒भो रो॑रवीति म॒हो दे॒वो मर्त्याँ॒ आ वि॑वेश ॥३॥
catvāri śṛṅgā trayo asya pādā dve śīrṣe sapta hastāso asya | tridhā baddho vṛṣabho roravīti maho devo martyām̐ ā viveśa ||
च॒त्वारि॑। शृङ्गा॑। त्रयः॑। अ॒स्य॒। पादाः॑। द्वे॒ इति॑। शी॒र्षे इति॑। स॒प्त। हस्ता॑सः। अ॒स्य॒। त्रिधा॑। ब॒द्धः। वृ॒ष॒भः। रो॒र॒वी॒ति॒। म॒हः। दे॒वः। मर्त्या॑न्। आ। वि॒वे॒श॒ ॥३॥
SWAMI DAYANAND SARSWATI
अब अगले मन्त्र में ईश्वर के विज्ञान को कहते हैं ॥
SWAMI DAYANAND SARSWATI
अथेश्वरविज्ञानमाह ॥
हे मनुष्या ! यो महो देवो मर्त्याना विवेश यो वृषभस्त्रिधा बद्धो रोरवीति अस्य परमात्मनो बोधस्य द्वे शीर्षे त्रयः पादाश्चत्वारि शृङ्गा च युष्माभिर्वेदितव्यान्यस्य च सप्त हस्तासस्त्रिधा बद्धो व्यवहारश्च वेदितव्यः ॥३॥
MATA SAVITA JOSHI
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