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म॒ही द्यावा॑पृथि॒वी इ॒ह ज्येष्ठे॑ रु॒चा भ॑वतां शु॒चय॑द्भिर॒र्कैः। वत्सीं॒ वरि॑ष्ठे बृह॒ती वि॑मि॒न्वन्रु॒वद्धो॒क्षा प॑प्रथा॒नेभि॒रेवैः॑ ॥१॥

English Transliteration

mahī dyāvāpṛthivī iha jyeṣṭhe rucā bhavatāṁ śucayadbhir arkaiḥ | yat sīṁ variṣṭhe bṛhatī viminvan ruvad dhokṣā paprathānebhir evaiḥ ||

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Pad Path

म॒ही इति॑। द्यावा॑पृथि॒वी इति॑। इ॒ह। ज्येष्ठे॒ इति॑। रु॒चा। भ॒व॒ता॒म्। शु॒चय॑त्ऽभिः। अ॒र्कैः। यत्। सी॒म्। वरि॑ष्ठे॒ इति॑। बृ॒ह॒ती इति॑। वि॒ऽमि॒न्वन्। रु॒वत्। ह॒। उ॒क्षा। प॒प्र॒था॒नेभिः॑। एवैः॑ ॥१॥

Rigveda » Mandal:4» Sukta:56» Mantra:1 | Ashtak:3» Adhyay:8» Varga:8» Mantra:1 | Mandal:4» Anuvak:5» Mantra:1


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

अब सात ऋचावाले छप्पनवें सूक्त का प्रारम्भ है, उसके प्रथम मन्त्र में द्यावापृथिवी अर्थात् प्रकाश और भूमि के गुणों को कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे मनुष्यो ! (यत्) जो (विमिन्वन्) विशेष करके फेंकता हुआ (रुवन्) प्रशंसित शब्दवान् जैसे हो वैसे (ह) ही (उक्षा) सूर्य्य के समान विद्वान् (इह) यहाँ (सीम्) सब ओर से (शुचयद्भिः) पवित्र करते हुए (अर्कैः) सेवा करने योग्य और (पप्रथानेभिः) अत्यन्त विस्तारयुक्त (एवैः) सुख को प्राप्त करानेवाले गुणों के साथ वर्त्तमान (वरिष्ठे) अतीव श्रेष्ठ (बृहती) बढ़ते हुए (मही) बड़े (ज्येष्ठे) अत्यन्त प्रशंसा करने योग्य (रुचा) रुचिकर (द्यावापृथिवी) सूर्य्य और भूमि (भवताम्) होते हैं, उनको यथावत् विशेष करके जानता है, वही सब का कल्याण करनेवाला होता है ॥१॥
Connotation: - जो मनुष्य पृथिवी से लेके सूर्य्यपर्य्यन्त पदार्थों को जानते हैं, वे धनवान् होकर सब को सुखी करें ॥१॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

अथ द्यावापृथिव्योर्गुणानाह ॥

Anvay:

हे मनुष्या ! यद्यो विमिन्वन् रुवद्धोक्षेव विद्वानिह सीं शुचयद्भिरर्कैः पप्रथानेभिरेवैर्गुणैस्सह वर्त्तमाने वरिष्ठे बृहती मही ज्येष्ठे रुचा द्यावापृथिवी भवतां ते [=तान्] यथावद्विजानाति स एव सर्वेषां कल्याणकरो भवति ॥१॥

Word-Meaning: - (मही) महत्यौ (द्यावापृथिवी) सूर्यभूमी (इह) (ज्येष्ठे) अतिशयेन प्रशस्ये (रुचा) रुचिकर्यौ (भवताम्) (शुचयद्भिः) पवित्रयद्भिः (अर्कैः) अर्चनीयैः (यत्) यः (सीम्) सर्वतः (वरिष्ठे) अतिशयेन वरे (बृहती) बृहन्त्यौ (विमिन्वन्) विशेषेण प्रक्षिपन् (रुवत्) प्रशस्तशब्दवत् (ह) किल (उक्षा) सूर्यः (पप्रथानेभिः) भृशं विस्तृतैः (एवैः) सुखप्रापकैः ॥१॥
Connotation: - ये मनुष्याः पृथिवीमारभ्य सूर्य्यपर्य्यन्तान् पदार्थाञ्च जानन्ति त ऐश्वर्य्यवन्तो भूत्वा सर्वान् सुखयन्तु ॥१॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - जी माणसे पृथ्वीपासून सूर्यापर्यंत पदार्थांना जाणतात त्यांनी धनवान बनून सर्वांना सुखी करावे. ॥ १ ॥