ये ते॒ त्रिरह॑न्त्सवितः स॒वासो॑ दि॒वेदि॑वे॒ सौभ॑गमासु॒वन्ति॑। इन्द्रो॒ द्यावा॑पृथि॒वी सिन्धु॑र॒द्भिरा॑दि॒त्यैर्नो॒ अदि॑तिः॒ शर्म॑ यंसत् ॥६॥
ye te trir ahan savitaḥ savāso dive-dive saubhagam āsuvanti | indro dyāvāpṛthivī sindhur adbhir ādityair no aditiḥ śarma yaṁsat ||
ये। ते॒। त्रिः। अह॑न्। स॒वि॒त॒रिति॑। स॒वासः॑। दि॒वेऽदि॑वे। सौभ॑गम्। आ॒ऽसु॒वन्ति॑। इन्द्रः॑। द्यावा॑पृथि॒वी इति॑। सिन्धुः॑। अ॒त्ऽभिः। आ॒दि॒त्यैः। नः॒। अदि॑तिः। शर्मः॑। यं॒स॒त् ॥६॥
SWAMI DAYANAND SARSWATI
अब पदार्थोद्देश से ईश्वर की सेवा को कहते हैं ॥
SWAMI DAYANAND SARSWATI
अथ पदार्थोद्देशेनेश्वरसेवनमाह ॥
हे सवितर्जगदीश्वर ! ते तव ये सवासोऽहन् दिवेदिवे सौभगं त्रिरासुवन्ति। अद्भिरादित्यैस्सह इन्द्रो द्यावापृथिवी सिन्धुश्चासुवन्ति सोऽदितिर्भवान्नः शर्म यंसत् ॥६॥
MATA SAVITA JOSHI
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