अश्वे॑व चि॒त्रारु॑षी मा॒ता गवा॑मृ॒ताव॑री। सखा॑भूद॒श्विनो॑रु॒षाः ॥२॥
aśveva citrāruṣī mātā gavām ṛtāvarī | sakhābhūd aśvinor uṣāḥ ||
अश्वा॑ऽइव। चि॒त्रा। अरु॑षी। मा॒ता। गवा॑म्। ऋ॒तऽव॑री। सखा॑। अ॒भू॒त्। अ॒श्विनोः॑। उ॒षाः ॥२॥
SWAMI DAYANAND SARSWATI
फिर उसी विषय को अगले मन्त्र में कहते हैं ॥
SWAMI DAYANAND SARSWATI
पुनस्तमेव विषयमाह ॥
हे मनुष्या ! या चित्राऽरुष्यृतावरी उषा अश्वेवाश्विनोः सखाऽभूत् सा गवां मातेव पालिका वेद्या ॥२॥
MATA SAVITA JOSHI
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