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अस्थु॑रु चि॒त्रा उ॒षसः॑ पु॒रस्ता॑न्मि॒ताइ॑व॒ स्वर॑वोऽध्व॒रेषु॑। व्यू॑ व्र॒जस्य॒ तम॑सो॒ द्वारो॒च्छन्ती॑रव्र॒ञ्छुच॑यः पाव॒काः ॥२॥

English Transliteration

asthur u citrā uṣasaḥ purastān mitā iva svaravo dhvareṣu | vy ū vrajasya tamaso dvārocchantīr avrañ chucayaḥ pāvakāḥ ||

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Pad Path

अस्थुः॑। ऊँ॒ इति। चि॒त्राः। उ॒षसः॑। पु॒रस्ता॑त्। मि॒ताःऽइ॑व। स्वर॑वः। अ॒ध्व॒रेषु॑। वि। ऊ॒म् इति॑। व्र॒जस्य॑। तम॑सः। द्वारा॑। उ॒च्छन्तीः॑। अ॒व्र॒न्। शुच॑यः। पा॒व॒काः ॥२॥

Rigveda » Mandal:4» Sukta:51» Mantra:2 | Ashtak:3» Adhyay:8» Varga:1» Mantra:2 | Mandal:4» Anuvak:5» Mantra:2


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

अब स्त्री पुरुष के विषय को अगले मन्त्र में कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे ब्रह्मचारी जनो ! जो (उ) ही (अध्वरेषु) गृहाश्रम के व्यवहारों के अनुष्ठानों में (शुचयः) पवित्र (पावकः) पवित्र कर्म करनेवाली (स्वरवः) प्रताप से युक्त (पुरस्तात्) पूर्व से (मिताइव) विद्या से सम्पूर्ण पदार्थों को जानती सी हुईं (उषसः) प्रभात वेलाओं के सदृश कन्याएँ (व्रजस्य) प्राप्त (तमसः) अन्धकार के (द्वारा) द्वारों को (वि, उच्छन्तीः) विवास कराती हुईं सी (चित्राः) विचित्र गुण, कर्म, स्वभावयुक्त ब्रह्मचारिणी (अस्थुः) स्थित होती हैं (उ) उन्हीं को विवाह के लिये (अव्रन्) स्वीकार करो ॥२॥
Connotation: - इस मन्त्र में वाचकलुप्तोपमालङ्कार है। हे ब्रह्मचारी जनो ! जो ब्रह्मचारिणी मेघ के सदृश गम्भीर शब्दयुक्त, थोड़ा बोलनेवाली, पवित्र और विद्यायुक्त होवें, वही प्रथम उत्तम प्रकार परीक्षा करके विवाहने योग्य हैं ॥२॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

अथ स्त्रीपुरुषविषयमाह ॥

Anvay:

हे ब्रह्मचारिणो ! या उ अध्वरेषु शुचयः पावकाः स्वरवः पुरस्तान्मिता इवोषसो व्रजस्य तमसो द्वारा व्युच्छन्तीरिव चित्रा अस्थुस्ता उ विवाहायाव्रन् ॥२॥

Word-Meaning: - (अस्थुः) तिष्ठन्ति (उ) (चित्राः) विचित्रगुणकर्मस्वभावाः (उषसः) प्रभातवेला इव दुहितरः (पुरस्तात्) पूर्वस्मात् (मिताइव) विद्यया सकलपदार्थवेदित्र्य इव (स्वरवः) प्रतापयुक्ताः (अध्वरेषु) गृहाश्रमव्यवहाराऽनुष्ठानेषु (वि) (उ) (व्रजस्य) (तमसः) अन्धकारस्य (द्वारा) द्वाराणि (उच्छन्तीः) विवासयन्त्यः (अव्रन्) वृणुयुः (शुचयः) पवित्राः (पावकाः) पवित्रकर्मकर्त्र्यः ॥२॥
Connotation: - अत्र वाचकलुप्तोपमालङ्कारः। हे ब्रह्मचारिणो ! या ब्रह्मचारिण्यो ! मेघस्वना मितभाषिण्यः पवित्रा विदुष्यः स्युस्ता एव पूर्वे सम्परीक्ष्य वोढव्याः ॥२॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - या मंत्रात वाचकलुप्तोपमालंकार आहे. हे ब्रह्मचाऱ्यांनो! ज्या ब्रह्मचारिणी मेघाप्रमाणे गंभीर बोलणाऱ्या, मितभाषी, पवित्र व विद्यायुक्त असतील त्यांचीच उत्तम प्रकारे परीक्षा करून विवाह करावा. ॥ २ ॥