ए॒वा पि॒त्रे वि॒श्वदे॑वाय॒ वृष्णे॑ य॒ज्ञैर्वि॑धेम॒ नम॑सा ह॒विर्भिः॑। बृह॑स्पते सुप्र॒जा वी॒रव॑न्तो व॒यं स्या॑म॒ पत॑यो रयी॒णाम् ॥६॥
evā pitre viśvadevāya vṛṣṇe yajñair vidhema namasā havirbhiḥ | bṛhaspate suprajā vīravanto vayaṁ syāma patayo rayīṇām ||
ए॒व। पि॒त्रे। वि॒श्वऽदे॑वाय। वृष्णे॑। य॒ज्ञैः। वि॒धे॒म॒। नम॑सा। ह॒विऽभिः॑। बृह॑स्पते। सु॒ऽप्र॒जाः। वी॒रऽव॑न्तः। व॒यम्। स्या॒म॒। पत॑यः। र॒यी॒णाम् ॥६॥
SWAMI DAYANAND SARSWATI
फिर उसी विषय को अगले मन्त्र में कहते हैं ॥
SWAMI DAYANAND SARSWATI
पुनस्तमेव विषयमाह ॥
हे बृहस्पते ! यथा वयं यज्ञैर्विश्वदेवाय वृष्णे पित्रे नमसा हविर्भिर्विधेम सुप्रजा वीरवन्तो वयं रयीणां पतयस्स्याम तथैवा त्वं भव ॥६॥
MATA SAVITA JOSHI
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