Go To Mantra

स सु॒ष्टुभा॒ स ऋक्व॑ता ग॒णेन॑ व॒लं रु॑रोज फलि॒गं रवे॑ण। बृह॒स्पति॑रु॒स्रिया॑ हव्य॒सूदः॒ कनि॑क्रद॒द्वाव॑शती॒रुदा॑जत् ॥५॥

English Transliteration

sa suṣṭubhā sa ṛkvatā gaṇena valaṁ ruroja phaligaṁ raveṇa | bṛhaspatir usriyā havyasūdaḥ kanikradad vāvaśatīr ud ājat ||

Mantra Audio
Pad Path

सः। सु॒ऽस्तुभा॑। सः। ऋक्व॑ता। ग॒णेन॑। व॒लम्। रु॒रो॒ज॒। फ॒लि॒ऽगम्। रवे॑ण। बृह॒स्पतिः॑। उ॒स्रियाः॑। ह॒व्य॒ऽसूदः॑। कनि॑क्रदत्। वाव॑शतीः। उत्। आ॒ज॒त् ॥५॥

Rigveda » Mandal:4» Sukta:50» Mantra:5 | Ashtak:3» Adhyay:7» Varga:26» Mantra:5 | Mandal:4» Anuvak:5» Mantra:5


Reads times

SWAMI DAYANAND SARSWATI

अब विद्वान् के विषय को अगले मन्त्र में कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे विद्वन् ! जैसे (सः) वह (हव्यसूदः) हवन करने योग्य पदार्थों को क्षरण कराने अर्थात् अपने प्रताप से अणुरूप करानेवाला (कनिक्रदत्) अत्यन्त शब्द करता हुआ (बृहस्पतिः) बड़ा और सब का पालन करनेवाला सूर्य्य (सुष्टुभा) सुन्दर प्रशंसित (गणेन) किरणसमूह से (फलिगम्) मेघ को (रुरोज) भङ्ग करे और (सः) वह विद्वान् (ऋक्वता) बहुत प्रशंसायुक्त उपदेश देने योग्य विद्यार्थियों के समूह से (रवेण) शब्द से (वलम्) कुटिल चाल को भङ्ग करे और (उस्रियाः) पृथिवी के बीच वर्त्तमान (वावशतीः) अत्यन्त कामना करती हुई प्रजाओं को (उत्, आजत्) प्राप्त होता है, वैसे आप वर्त्ताव करो ॥५॥
Connotation: - जैसे सूर्य्य वृष्टि के द्वारा सब प्रजाओं की रक्षा करता और बिजुली के शब्द से सब को जनाता है, वैसे ही सब विद्वान् जन विद्या के द्वारा सब के द्वारा सब के आत्माओं को प्रकाशित करें ॥५॥
Reads times

SWAMI DAYANAND SARSWATI

अथ विद्वद्विषयमाह ॥

Anvay:

हे विद्वन् ! यथा स हव्यसूदः कनिक्रदद् बृहस्पतिः सूर्य्यः सुष्टुभा गणेन फलिगं रुरोज स ऋक्वता गणेन रवेण वलं रुरोजोस्रिया वावशतीरुदाजत् तथा त्वं वर्त्तस्व ॥५॥

Word-Meaning: - (सः) विद्वान् (सुष्टुभा) शोभनेन प्रशंसितेन (सः) (ऋक्वता) बहुप्रशंसायुक्तेन (गणेन) किरणसमूहेनोपदेश्यविद्यार्थिसमुदायेन (वलम्) वक्रगतिम् (रुरोज) रुजेत् (फलिगम्) मेघम्। फलिग इति मेघनामसु पठितम्। (निघं०१.१) (रवेण) शब्देन (बृहस्पतिः) महान् सर्वेषां पालकः (उस्रियाः) पृथिव्यां वर्त्तमानाः (हव्यसूदः) यो हव्यानि सूदयति क्षरयति सः (कनिक्रदत्) भृशं शब्दयन् (वावशतीः) भृशं कामयमानाः प्रजाः (उत्) (आजत्) प्राप्नोति ॥५॥
Connotation: - यथा सविता वृष्टिद्वारा सर्वाः प्रजा रक्षति विद्युच्छब्देन सर्वान् प्रज्ञापयति तथैव सर्वे विद्वांसो विद्याद्वारा सर्वात्मनः प्रकाशयेयुः ॥५॥
Reads times

MATA SAVITA JOSHI

N/A

Word-Meaning: - N/A
Connotation: - जसा सूर्य वृष्टीद्वारे सर्व प्रजेचे रक्षण करतो व विद्युत गर्जनेने सर्वांना जाणीव करून देतो. तसेच सर्व विद्वानांनी विद्येने सर्वांच्या आत्म्यांना प्रकाशित करावे. ॥ ५ ॥