का म॒र्यादा॑ व॒युना॒ कद्ध॑ वा॒ममच्छा॑ गमेम र॒घवो॒ न वाज॑म्। क॒दा नो॑ दे॒वीर॒मृत॑स्य॒ पत्नीः॒ सूरो॒ वर्णे॑न ततनन्नु॒षासः॑ ॥१३॥
kā maryādā vayunā kad dha vāmam acchā gamema raghavo na vājam | kadā no devīr amṛtasya patnīḥ sūro varṇena tatanann uṣāsaḥ ||
का। म॒र्यादा॑। व॒युना॑। कत्। ह॒। वा॒मम्। अच्छ॑। ग॒मे॒म॒। र॒घवः॑। न। वाज॑म्। क॒दा। नः॒। दे॒वीः। अ॒मृत॑स्य। पत्नीः॑। सूरः॑। वर्णे॑न। त॒त॒न॒न्। उ॒षसः॑॥१३॥
SWAMI DAYANAND SARSWATI
फिर उसी विषय को अगले मन्त्र में कहते हैं ॥
SWAMI DAYANAND SARSWATI
पुनस्तमेव विषयमाह ॥
हे विद्वांसो ! नोऽस्माकं का मर्य्यादा कानि वयुना रघवो वाजं वामं कद्धाच्छ गमेम कदा सूरोऽमृतस्य देवीः पत्नीरुषासो न इव वर्णेन ततनन् ॥१३॥
MATA SAVITA JOSHI
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