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मध्वः॑ पिबतं मधु॒पेभि॑रा॒सभि॑रु॒त प्रि॒यं मधु॑ने युञ्जाथां॒ रथ॑म्। आ व॑र्त॒निं मधु॑ना जिन्वथस्प॒थो दृतिं॑ वहेथे॒ मधु॑मन्तमश्विना ॥३॥

English Transliteration

madhvaḥ pibatam madhupebhir āsabhir uta priyam madhune yuñjāthāṁ ratham | ā vartanim madhunā jinvathas patho dṛtiṁ vahethe madhumantam aśvinā ||

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Pad Path

मध्वः॑। पि॒ब॒त॒म्। म॒धु॒ऽपेभिः॑। आ॒सऽभिः॑। उ॒त। प्रि॒यम्। मधु॑ने। यु॒ञ्जा॒था॒म्। रथ॑म्। आ। व॒र्त॒निम्। मधु॑ना। जि॒न्व॒थः॒। प॒थः। दृति॑म्। व॒हे॒थे॒ इति॑। मधु॑ऽमन्तम्। अ॒श्वि॒ना॒ ॥३॥

Rigveda » Mandal:4» Sukta:45» Mantra:3 | Ashtak:3» Adhyay:7» Varga:21» Mantra:3 | Mandal:4» Anuvak:4» Mantra:3


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर उसी विषय को अगले मन्त्र में कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे (अश्विना) सेना के ईश और योद्धा जन आप दोनों (मधुपेभिः) मधुर रसों को पीनेवाले वीर पुरुषों के साथ (आसभिः) मुखों से (मध्वः) मधुर आदि गुण से युक्त पदार्थ के (प्रियम्) मनोहर रस को (पिबतम्) पिओ (उत) और (मधुने) जाने गये मार्ग के लिये (रथम्) विमान आदि वाहन को (युञ्जाथाम्) युक्त करो तथा (मधुना) मधुरता गुण युक्त पदार्थ से (वर्त्तनिम्) जिसमें वर्त्तमान होते उस मार्ग को (आ, जिन्वथः) सब प्रकार प्राप्त होते हो और अन्य (पथः) मार्गों को प्राप्त होते हो और जैसे (मधुमन्तम्) मधुर आदि गुणों से युक्त (दृतिम्) जल के चर्मपात्र के सदृश वर्त्तमान मेघ को सूर्य्य और वायु (वहेथे) धारण करते हैं, वैसे इस व्यवहार को धारण करो ॥३॥
Connotation: - हे सेना के ईश और योद्धाजनो ! तुम सेनास्थ वीरों के साथ ऐसे भोजन करो और वाहनों को रचो, जिनसे बल की वृद्धि और लक्ष्मी की प्राप्ति हो, जैसे वायु और बिजुली वर्षा करके सबको सुखी करते हैं, वैसे प्रजा को सुखी करो ॥३॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनस्तमेव विषयमाह ॥

Anvay:

हे अश्विना ! युवां मधुपेभिर्वीरैः सहासभिर्मध्वः प्रियं रसं पिबतमुत मधुने रथं युञ्जाथां मधुना वर्त्तनिमा जिन्वथः पथो जिन्वथो मधुमन्तं दृतिं सूर्य्यवायू वहेथे तथेमं वहेथाम् ॥३॥

Word-Meaning: - (मध्वः) मधुरादिगुणयुक्तस्य (पिबतम्) (मधुपेभिः) ये मधुरान् रसान् पिबन्ति तैः सह (आसभिः) आस्यैर्मुखैः (उत) अपि (प्रियम्) कमनीयम् (मधुने) विज्ञाताय मार्गाय (युञ्जाथाम्) (रथम्) विमानादियानम् (आ) (वर्त्तनिम्) वर्त्तन्ते यस्मिँस्तं मार्गम् (मधुना) माधुर्य्यगुणोपेतेन (जिन्वथः) गच्छथः (पथः) मार्गान् (दृतिम्) दृतिमिव वर्त्तमानं मेघम् (वहेथे) प्रापयेताम्। अत्र पुरुषव्यत्ययः। (मधुमन्तम्) मधुरादिगुणयुक्तम् (अश्विना) सेनेशयोद्धारौ ॥३॥
Connotation: - हे सेनेशयोद्धारो ! यूयं सेनास्थवीरैः सहेदृशानि भोजनानि कुरुत यानानि रचयत यैर्बलवृद्धिः श्रीप्राप्तिश्च स्याद्यथा वायुविद्युतौ वृष्टिं कृत्वा सर्वान् सुखयतस्तथा प्रजाः सुखयथ ॥३॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - हे सेनापती व योद्धेजन हो ! तुम्ही सेनेतील वीरांबरोबर असे भोजन करा व वाहने निर्माण करा, ज्यामुळे बलाची वृद्धी व लक्ष्मी प्राप्त व्हावी. जसे वायू व विद्युत वृष्टी करून सर्वांना सुखी करतात तसे प्रजेला सुखी करा. ॥ ३ ॥