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ए॒ष स्य भा॒नुरुदि॑यर्ति यु॒ज्यते॒ रथः॒ परि॑ज्मा दि॒वो अ॒स्य सान॑वि। पृ॒क्षासो॑ अस्मिन्मिथु॒ना अधि॒ त्रयो॒ दृति॑स्तु॒रीयो॒ मधु॑नो॒ वि र॑प्शते ॥१॥

English Transliteration

eṣa sya bhānur ud iyarti yujyate rathaḥ parijmā divo asya sānavi | pṛkṣāso asmin mithunā adhi trayo dṛtis turīyo madhuno vi rapśate ||

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Pad Path

ए॒षः। स्यः। भा॒नुः। उत्। इ॒य॒र्ति॒। यु॒ज्यते॑। रथः॑। परि॑ऽज्मा। दि॒वः। अ॒स्य। सान॑वि। पृ॒क्षासः॑। अ॒स्मिन्। मि॒थु॒नाः। अधि॑। त्रयः॑। दृतिः॑। तु॒रीयः॑। मधु॑नः। वि। र॒प्श॒ते॒ ॥१॥

Rigveda » Mandal:4» Sukta:45» Mantra:1 | Ashtak:3» Adhyay:7» Varga:21» Mantra:1 | Mandal:4» Anuvak:4» Mantra:1


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

अब सात ऋचावाले पैंतालीसवें सूक्त का प्रारम्भ है, उसके प्रथम मन्त्र से सूर्य्यविषय को कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे मनुष्यो ! (एषः, स्यः) सो वह (परिज्मा) सब ओर से भूमि में चलता वा त्यागता (भानुः) सूर्य्य (उत्) ऊपर को (इयर्त्ति) प्राप्त होता है (अस्य) इसके (सानवि) आकाशप्रदेश में (रथः) वाहन (युज्यते) जोड़ा जाता है (अस्मिन्) इस में (त्रयः) वायु, जल और बिजुली (पृक्षासः) सम्बन्ध को प्राप्त (मिथुनाः) दो दो मिले हुए प्रकाशित होते हैं इस (मधुनः) मधुर गुण से युक्त के बीच (तुरीयः) चौथा (दृतिः) मेघ (दिवः) प्रशंसायुक्त अन्तरिक्ष के बीच (अधि) ऊपर (वि, रप्शते) विशेष करके शोभित होता है, उन सबको जानिये ॥१॥
Connotation: - हे मनुष्यो ! जो प्रकाशमान सूर्य्य ब्रह्माण्ड के मध्य में विराजित है और इसके चारों ओर बहुत भूगोल सम्बन्धयुक्त हैं तथा पृथिवी और चन्द्रलोक एक साथ घूमते हैं और जिसके प्रभाव से वृष्टियाँ होती हैं, इस सम्पूर्ण को जानो ॥१॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

अथ सूर्य्यविषयमाह ॥

Anvay:

हे मनुष्या ! एषः स्यः परिज्मा भानुरुदियर्त्ति, अस्य सानवि रथो युज्यतेऽस्मिंस्त्रयः पृक्षासो मिथुनाः प्रकाशन्ते, अस्य मधुनो मध्ये तुरीयो दृतिर्दिवोऽधि वि रप्शते तान् सर्वान् विजानीत ॥१॥

Word-Meaning: - (एषः) (स्यः) सः (भानुः) सूर्य्यः (उत्) ऊर्ध्वम् (इयर्त्ति) प्राप्नोति (युज्यते) (रथः) (परिज्मा) परितः सर्वतो ज्मायां भूमौ गच्छति त्यजति वा। ज्मेति पृथिवीनामसु पठितम्। (निघं०१.१) (दिवः) प्रशंसायुक्तस्यान्तरिक्षस्य मध्ये (अस्य) (सानवि) आकाशप्रदेशे (पृक्षासः) सम्बद्धाः (अस्मिन्) (मिथुनाः) द्वन्द्वा द्वौ द्वौ मिलिताः (अधि) उपरिभावे (त्रयः) वायुजलविद्युतः (दृतिः) मेघः। दृतिरिति मेघनामसु पठितम्। (निघं०१.१) (तुरीयः) चतुर्थः (मधुनः) मधुरगुणयुक्तस्य (वि) (रप्शते) विशेषेण राजते ॥१॥
Connotation: - हे मनुष्या ! यो हि प्रकाशमानः सूर्य्यो ब्रह्माण्डस्य मध्ये विराजतेऽस्याभितो बहवो भूगोलाः सम्बद्धाः सन्ति भूचन्द्रलोकौ च युक्तौ भ्रमतो यस्य प्रभावेन वर्षा जायन्त इति विजानीत ॥१॥
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MATA SAVITA JOSHI

या सूक्तात सूर्य व अश्विच्या गुणांचे वर्णन असल्यामुळे या सूक्ताच्या अर्थाची पूर्व सूक्तार्थाबरोबर संगती जाणावी.

Word-Meaning: - N/A
Connotation: - हे माणसांनो ! जो प्रकाशमान सूर्य ब्रह्मांडामध्ये विराजमान आहे व त्याच्या सर्व बाजूंनी भूगोलाचा संबंध आहे. पृथ्वी व चंद्रलोक बरोबरच फिरतात त्यांच्या प्रभावामुळे वृष्टी होते हे जाणा. ॥ १ ॥