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यु॒वं श्रिय॑मश्विना दे॒वता॒ तां दिवो॑ नपाता वनथः॒ शची॑भिः। यु॒वोर्वपु॑र॒भि पृक्षः॑ सचन्ते॒ वह॑न्ति॒ यत्क॑कु॒हासो॒ रथे॑ वाम् ॥२॥

English Transliteration

yuvaṁ śriyam aśvinā devatā tāṁ divo napātā vanathaḥ śacībhiḥ | yuvor vapur abhi pṛkṣaḥ sacante vahanti yat kakuhāso rathe vām ||

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Pad Path

यु॒वम्। श्रिय॑म्। अ॒श्वि॒ना॒। दे॒वता॑। ताम्। दिवः॑। न॒पा॒ता॒। व॒न॒थः॒। शची॑भिः। यु॒वोः। वपुः॑। अ॒भि। पृक्षः॑। स॒च॒न्ते॒। वह॑न्ति। यत्। क॒कु॒हासः॑। रथे॑। वा॒म् ॥२॥

Rigveda » Mandal:4» Sukta:44» Mantra:2 | Ashtak:3» Adhyay:7» Varga:20» Mantra:2 | Mandal:4» Anuvak:4» Mantra:2


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर उसी विषय को अगले मन्त्र में कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे (दिवः) द्रष्टव्य अत्यन्त सुख के (नपाता) पतन से रहित (देवता) दिव्यगुणसम्पन्न (अश्विना) अध्यापक और उपदेशक जनो ! (युवम्) आप दोनों (शचीभिः) बुद्धियों से (ताम्) उस (श्रियम्) लक्ष्मी का (वनथः) सेवन करो (यत्) जिसको (वाम्) आप दोनों के (रथे) वाहन में (युवोः) आप दोनों के (पृक्षः) सम्बन्ध और (वपुः) शरीर को (अभि) सम्मुख (सचन्ते) सम्बन्धयुक्त करती (ककुहासः) सम्पूर्ण दिशा (वहन्ति) प्राप्त होती हैं ॥२॥
Connotation: - जो विद्वान् जन बुद्धि को प्राप्त होकर अन्य जनों के लिये देते हैं, वे सम्पूर्ण दिशाओं में पूजने अर्थात् सत्कार करने योग्य होते हैं ॥२॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनस्तमेव विषयमाह ॥

Anvay:

हे दिवो नपाता देवताश्विना ! युवं शचीभिः तां श्रियं वनथो यद्यां वां रथे युवोः पृक्षो वपुरभि सचन्ते ककुहासो वहन्ति ॥२॥

Word-Meaning: - (युवम्) युवाम् (श्रियम्) लक्ष्मीम् (अश्विना) अध्यापकोपदेशकौ (देवता) दिव्यगुणसम्पन्नौ (ताम्) (दिवः) द्युलोकस्य (नपाता) पातरहितौ (वनथः) संसेवेथाम् (शचीभिः) प्रज्ञाभिः (युवोः) युवयोः (वपुः) शरीरम् (अभि) आभिमुख्ये (पृक्षः) सम्पर्कः (सचन्ते) सम्बध्नन्ति (वहन्ति) (यत्) याम् (ककुहासः) सर्वा दिशः (रथे) (वाम्) युवयोः ॥२॥
Connotation: - ये विद्वांसः प्रज्ञां प्राप्याऽन्येभ्यो ददति ते सर्वासु दिक्षु पूज्या भवन्ति ॥२॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - जे विद्वान लोक बुद्धी प्राप्त करून इतरांना देतात ते दशदिशांमध्ये पूजनीय ठरतात. ॥ २ ॥