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उ॒त स्य वा॒जी क्षि॑प॒णिं तु॑रण्यति ग्री॒वायां॑ ब॒द्धो अ॑पिक॒क्ष आ॒सनि॑। क्रतुं॑ दधि॒क्रा अनु॑ सं॒तवी॑त्वत्प॒थामङ्कां॒स्यन्वा॒पनी॑फणत् ॥४॥

English Transliteration

uta sya vājī kṣipaṇiṁ turaṇyati grīvāyām baddho apikakṣa āsani | kratuṁ dadhikrā anu saṁtavītvat pathām aṅkāṁsy anv āpanīphaṇat ||

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Pad Path

उ॒त। स्यः। वा॒जी। क्षि॒प॒णिम्। तु॒र॒ण्य॒ति॒। ग्री॒वाया॑म्। ब॒द्धः। अ॒पि॒ऽक॒क्षे। आ॒सनि॑। क्रतु॑म्। द॒धि॒ऽक्राः। अनु॑। स॒म्ऽतवी॑त्वत्। प॒थाम्। अङ्कां॑सि। अनु॑। आ॒ऽपनी॑फणत् ॥४॥

Rigveda » Mandal:4» Sukta:40» Mantra:4 | Ashtak:3» Adhyay:7» Varga:14» Mantra:4 | Mandal:4» Anuvak:4» Mantra:4


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर उसी विषय को अगले मन्त्र में कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे मनुष्यो ! जो (वाजी) वेगयुक्त (ग्रीवायाम्) कण्ठ में (अपिकक्षे) काँख में (आसनि) मुख में (बद्धः) बँधा और (दधिक्राः) धारण करने योग्यों का धारण करनेवाला हुआ (क्षिपणिम्) शीघ्र करनेवाले को (अनु, तुरण्यति) शीघ्र चलाता है (उत) और (सन्तवीत्वत्) बहुत बलवान् होता हुआ (पथाम्) मार्गों के (अङ्कांसि) चिह्नों को (क्रतुम्) बुद्धि वा कर्म के (अनु) पीछे (आपनीफणत्) अत्यन्त प्राप्त होता है (स्यः) वह आप लोगों से कार्य्यों में नियुक्त करने योग्य है ॥४॥
Connotation: - हे मनुष्यो ! जैसे सब प्रकार शोभित बन्धन से सन्नद्ध किया घोड़ा शीघ्र चलता है, वैसे ही अग्नि आदि से चलाये गये वाहन से शीघ्र जाओ ॥४॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनस्तमेव विषयमाह ॥

Anvay:

हे मनुष्या ! यो वाजी ग्रीवायामपिकक्ष आसनि बद्धो दधिक्राः सन् क्षिपणिमनु तुरण्यत्युत सन्तवीत्वत् सन् पथामङ्कांसि क्रतुमन्वापनीफणत् स्य युष्माभिः कार्य्येषु नियोजनीयः ॥४॥

Word-Meaning: - (उत) (स्यः) सः (वाजी) वेगवान् (क्षिपणिम्) शीघ्रकारिणम् (तुरण्यति) सद्यो गमयति (ग्रीवायाम्) कण्ठे (बद्धः) (अपिकक्षे) पार्श्वे (आसनि) मुखे (क्रतुम्) प्रज्ञां कर्म वा (दधिक्राः) धर्त्तव्यानां धारकः (अनु) (सन्तवीत्वत्) बहुबलः सन् (पथाम्) मार्गाणाम् (अङ्कांसि) लक्षणानि चिह्नानि (अनु) (आपनीफणत्) अत्यन्तं गच्छति ॥४॥
Connotation: - हे मनुष्या ! यथा सर्वतोऽलङ्कृतो बन्धनेन सज्जोऽश्वः सद्यो गच्छति तथैवाग्न्यादिभिश्चालितेन यानेन सद्यो गच्छत ॥४॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - हे माणसांनो! जसा सर्व प्रकारे अलंकृत केलेला व सज्ज असलेला घोडा ताबडतोब चालतो तसेच अग्नी इत्यादींनी चालणाऱ्या वाहनाने ताबडतोब जा. ॥ ४ ॥