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यू॒यम॒स्मभ्यं॑ धि॒षणा॑भ्य॒स्परि॑ वि॒द्वांसो॒ विश्वा॒ नर्या॑णि॒ भोज॑ना। द्यु॒मन्तं॒ वाजं॒ वृष॑शुष्ममुत्त॒ममा नो॑ र॒यिमृ॑भवस्तक्ष॒ता वयः॑ ॥८॥

English Transliteration

yūyam asmabhyaṁ dhiṣaṇābhyas pari vidvāṁso viśvā naryāṇi bhojanā | dyumantaṁ vājaṁ vṛṣaśuṣmam uttamam ā no rayim ṛbhavas takṣatā vayaḥ ||

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Pad Path

यू॒यम्। अ॒स्मभ्य॑म्। धि॒षणा॑भ्यः। परि॑। वि॒द्वांसः॑। विश्वा॑। नर्या॑णि। भोज॑ना। द्यु॒ऽमन्त॑म्। वाज॑म्। वृष॑ऽशुष्मम्। उ॒त्ऽत॒मम्। आ। नः॒। र॒यिम्। ऋ॒भ॒वः॒। त॒क्ष॒त॒। आ। वयः॑ ॥८॥

Rigveda » Mandal:4» Sukta:36» Mantra:8 | Ashtak:3» Adhyay:7» Varga:8» Mantra:3 | Mandal:4» Anuvak:4» Mantra:8


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर उसी विषय को अगले मन्त्र में कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे (विद्वांसः) विद्वानो (ऋभवः) बुद्धिमानो ! (यूयम्) आप लोग (अस्मभ्यम्) हम लोगों के लिये (धिषणाभ्यः) बुद्धियों से (विश्वा) सम्पूर्ण (नर्य्याणि) मनुष्यों में श्रेष्ठ वा मनुष्यों के लिये हितकारक (भोजना) पालन वा अन्न (द्युमन्तम्) प्रकाशवाले (वृषशुष्मम्) बलियों के बल और (उत्तमम्) श्रेष्ठ (वाजम्) विज्ञान और (रयिम्) धन का तथा (नः) हम लोगों के लिये (वयः) जीवन का (आ, तक्षत) विस्तार कीजिये, उससे सुख को (परि, आ) सब प्रकार से बढ़ाइये ॥८॥
Connotation: - जो विद्वान् पढ़ाने और उपदेश करने से मनुष्यों की बुद्धि बढ़ाते हैं, वे सब के हितैषी जानने चाहिये ॥८॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनस्तमेव विषयमाह ॥

Anvay:

हे विद्वांस ऋभवो ! यूयमस्मभ्यं धिषणाभ्यो विश्वा नर्य्याणि भोजना द्युमन्तं वृषशुष्ममुत्तमं वाजं रयिं नो वयश्चातक्षत तेन सुखं पर्य्यावर्द्धयत ॥८॥

Word-Meaning: - (यूयम्) (अस्मभ्यम्) (धिषणाभ्यः) प्रज्ञाभ्यः (परि) सर्वतः (विद्वांसः) (विश्वा) सर्वाणि (नर्य्याणि) नृषु साधूनि नृभ्यो हितानि वा (भोजना) पालनान्यन्नानि वा (द्युमन्तम्) प्रकाशवन्तम् (वाजम्) विज्ञानम् (वृषशुष्मम्) वृषणां बलीनां बलम् (उत्तमम्) श्रेष्ठम् (आ) (नः) अस्मभ्यम् (रयिम्) धनम् (ऋभवः) मेधाविनः (तक्षत) विस्तृणुत (आ) (वयः) जीवनम् ॥८॥
Connotation: - ये विद्वांसोऽध्यापनोपदेशाभ्यां मनुष्याणां प्रज्ञां वर्द्धयन्ति ते सर्वहितैषिणो विज्ञेयाः ॥८॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - जे विद्वान शिकविण्याने व उपदेश करण्याने माणसांची बुद्धी वाढवितात ते सर्वांचे हितकर्ते असतात, हे जाणावे. ॥ ८ ॥