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यो वः॑ सु॒नोत्य॑भिपि॒त्वे अह्नां॑ ती॒व्रं वा॑जासः॒ सव॑नं॒ मदा॑य। तस्मै॑ र॒यिमृ॑भवः॒ सर्व॑वीर॒मा त॑क्षत वृषणो मन्दसा॒नाः ॥६॥

English Transliteration

yo vaḥ sunoty abhipitve ahnāṁ tīvraṁ vājāsaḥ savanam madāya | tasmai rayim ṛbhavaḥ sarvavīram ā takṣata vṛṣaṇo mandasānāḥ ||

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Pad Path

यः। वः॒। सु॒नोति॑। अ॒भि॒ऽपि॒त्वे। अह्ना॑म्। ती॒व्रम्। वा॒जा॒सः॒। सव॑नम्। मदा॑य। तस्मै॑। र॒यिम्। ऋ॒भ॒वः॒। सर्व॑ऽवीरम्। आ। त॒क्ष॒त॒। वृ॒ष॒णः॒। म॒न्द॒सा॒नाः ॥६॥

Rigveda » Mandal:4» Sukta:35» Mantra:6 | Ashtak:3» Adhyay:7» Varga:6» Mantra:1 | Mandal:4» Anuvak:4» Mantra:6


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर उसी विषय को अगले मन्त्र में कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे (वृषणः) बलयुक्त (वाजासः) विज्ञानवाले (ऋभवः) बुद्धिमानो ! (मन्दसानाः) कामना करते हुए आप लोग (यः) जो (वः) आप लोगों के लिये (अह्नाम्) दिनों के मध्य में (अभिपित्वे) अभीष्ट की प्राप्ति होने पर (मदाय) नित्य आनन्द के लिये (तीव्रम्) तेजःस्वरूप (सवनम्) ऐश्वर्य्य को (सुनोति) उत्पन्न करता है (तस्मै) उसके लिये (सर्ववीरम्) सम्पूर्ण वीर जिससे हों उस (रयिम्) धन को (आ, तक्षत) सिद्ध करो ॥६॥
Connotation: - हे विद्वानो ! जो आप लोगों की सेवा तथा आज्ञा के अनुसार कार्य करते हैं, उनको विद्वान् और उत्तम प्रकार शिक्षित करके सम्पूर्ण ऐश्वर्य्य को प्राप्त कराइये ॥६॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनस्तमेव विषयमाह ॥

Anvay:

हे वृषणो वाजास ऋभवो ! मन्दसाना यूयं यो वोऽह्नामभिपित्वे मदाय तीव्रं सवनं सुनोति तस्मै सर्ववीरं रयिमातक्षत ॥६॥

Word-Meaning: - (यः) (वः) युष्मभ्यम् (सुनोति) निष्पादयति (अभिपित्वे) अभीष्टप्राप्तौ (अह्नाम्) दिनानां मध्ये (तीव्रम्) तेजोमयम् (वाजासः) विज्ञानवन्तः (सवनम्) ऐश्वर्य्यम् (मदाय) नित्यानन्दाय (तस्मै) (रयिम्) श्रियम् (ऋभवः) प्राज्ञाः (सर्ववीरम्) सर्वे वीरा यस्मात्तम् (आ) (तक्षत) साध्नुत (वृषणः) बलिष्ठः (मन्दसानाः) कामयमानाः ॥६॥
Connotation: - हे विद्वांसो ! ये युष्माकं सेवामाज्ञानुसारेण वर्त्तमानं कर्म च कुर्वन्ति तान् विदुषः सुशिक्षितान् कृत्वा समग्रैश्वर्य्यं प्रापयत ॥६॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - हे विद्वानांनो! जे तुमची सेवा करतात व आज्ञेनुसार कार्य करतात त्यांना विद्वान व उत्तम प्रकारे शिक्षित करून संपूर्ण ऐश्वर्य प्राप्त करवून द्या. ॥ ६ ॥