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वि॒दा॒नासो॒ जन्म॑नो वाजरत्ना उ॒त ऋ॒तुभि॑र्ऋभवो मादयध्वम्। सं वो॒ मदा॒ अग्म॑त॒ सं पुरं॑धिः सु॒वीरा॑म॒स्मे र॒यिमेर॑यध्वम् ॥२॥

English Transliteration

vidānāso janmano vājaratnā uta ṛtubhir ṛbhavo mādayadhvam | saṁ vo madā agmata sam puraṁdhiḥ suvīrām asme rayim erayadhvam ||

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Pad Path

वि॒दा॒नासः॑। जन्म॑नः। वा॒ज॒ऽर॒त्नाः॒। उ॒त। ऋ॒तुऽभिः॑। ऋ॒भ॒वः॒। मा॒द॒य॒ध्व॒म्। सम्। वः॒। मदाः॑। अग्म॑त। सम्। पुर॑म्ऽधिः। सु॒ऽवीरा॑म्। अ॒स्मे इति॑। र॒यिम्। आ। ई॒र॒य॒ध्व॒म् ॥२॥

Rigveda » Mandal:4» Sukta:34» Mantra:2 | Ashtak:3» Adhyay:7» Varga:3» Mantra:2 | Mandal:4» Anuvak:4» Mantra:2


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर उसी विषय को अगले मन्त्र में कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे (वाजरत्नाः) विज्ञान आदि रत्नों से युक्त (ऋभवः) बुद्धिमानो ! आप लोग (जन्मनः) जन्म से (विदानासः) ज्ञानवान् और विद्या ग्रहण के लिये प्रतिज्ञा करनेवाले हुए (ऋतुभिः) बुद्धिमानों के साथ (मादयध्वम्) आनन्द कराओ जिससे (वः) आप लोगों को (मदाः) आनन्द (सम्) उत्तम प्रकार (अग्मत) प्राप्त हों (उत) और (पुरन्धिः) नगरों का धारण करनेवाला राज्य प्राप्त हो तथा (अस्मे) हम लोगों के लिये (सुवीराम्) सुन्दर वीरों से युक्त सेना और (रयिम्) लक्ष्मी को (सम्, आ, ईरयध्वम्) सब प्रकार से प्राप्त कराओ ॥२॥
Connotation: - जो दूसरे विद्यारूप जन्म के होने पर प्राप्त विद्यारूप यौवनावस्थायुक्त होते हैं, वे विद्वान् होकर विद्वानों में मित्रता करते हैं और अविद्वानों के कल्याण के लिये प्रयत्न करते हैं ॥२॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनस्तमेव विषयमाह ॥

Anvay:

हे वाजरत्ना ऋभवो ! यूयं जन्मनो विदानासस्सन्त ऋभुभिः सह मादयध्वं यतो वो मदाः समग्मतोत पुरन्धिः प्राप्नोतु। अस्मे सुवीरां रयिं च समेरयध्वम् ॥२॥

Word-Meaning: - (विदानासः) ज्ञानवन्तो विद्याग्रहणाय कृतप्रतिज्ञाः (जन्मनः) (वाजरत्नाः) विज्ञानादीनि रत्नादीनि येषान्ते (उत) अपि (ऋतुभिः) मेधाविभिः सह (ऋभवः) मेधाविनः (मादयध्वम्) आनन्दयत (सम्) (वः) युष्मान् (मदाः) आनन्दाः (अग्मत) प्राप्नुवन्तु (सम्) (पुरन्धिः) पुरां धारको राज्यभावः (सुवीराम्) शोभना वीरा यस्यां सेनायां ताम् (अस्मे) अस्मभ्यम् (रयिम्) श्रियम् (आ) समन्तात् (ईरयध्वम्) प्रापयतम् ॥२॥
Connotation: - ये द्वितीये विद्याजन्मनि प्राप्तविद्यायौवना भवन्ति ते विद्वांसो भूत्वा विद्वत्सु मैत्रीमाचरन्तोऽविदुषां कल्याणाय प्रयतन्ते ॥२॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - जे द्वितीय विद्यारूपी जन्म प्राप्त करून विद्यारूपी तारुण्य प्राप्त करतात, ते विद्वान बनून विद्वानांशी मैत्री करतात व अविद्वानांच्या कल्याणासाठी प्रयत्न करतात. ॥ २ ॥