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अपो॒ ह्ये॑षा॒मजु॑षन्त दे॒वा अ॒भि क्रत्वा॒ मन॑सा॒ दीध्या॑नाः। वाजो॑ दे॒वाना॑मभवत्सु॒कर्मेन्द्र॑स्य ऋभु॒क्षा वरु॑णस्य॒ विभ्वा॑ ॥९॥

English Transliteration

apo hy eṣām ajuṣanta devā abhi kratvā manasā dīdhyānāḥ | vājo devānām abhavat sukarmendrasya ṛbhukṣā varuṇasya vibhvā ||

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Pad Path

अपः॑। हि। ए॒षा॒म्। अजु॑षन्त। दे॒वाः। अ॒भि। क्रत्वा॑। मन॑सा। दीध्या॑नाः। वाजः॑। दे॒वाना॑म्। अ॒भ॒व॒त्। सु॒ऽकर्मा॑। इन्द्र॑स्य। ऋ॒भु॒क्षाः। वरु॑णस्य। विऽभ्वा॑ ॥९॥

Rigveda » Mandal:4» Sukta:33» Mantra:9 | Ashtak:3» Adhyay:7» Varga:2» Mantra:4 | Mandal:4» Anuvak:4» Mantra:9


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर उसी विषय को अगले मन्त्र में कहते हैं ॥

Word-Meaning: - जो (क्रत्वा) बुद्धि और (मनसा) विज्ञान से (दीध्यानाः) प्रकाशमान (देवाः) विद्वान् जन (हि) जिस कारण (एषाम्) इन पदार्थों को कार्य्यसिद्धि के लिये (अपः) विमान आदि के बनाने में साधक कर्म का (अभि, अजुषन्त) सब प्रकार सेवन करते हैं और (सुकर्मा) उत्तम कर्म करनेवाला (देवानाम्) विद्वानों (इन्द्रस्य) बिजुली आदि और (वरुणस्य) जल आदि की (विभ्वा) व्याप्ति से (वाजः) अन्न, आदि विद्वानों के मध्य में (ऋभुक्षाः) बड़ा (अभवत्) होता है, वे और वह श्रीमान् होते हैं ॥९॥
Connotation: - जो मनुष्य इस संसार में सृष्टिस्थ पदार्थों की उत्तम परीक्षा से संयोग और विभाग के द्वारा श्रेष्ठ पदार्थ और कार्य्यों को सिद्ध करते हैं, वे विद्वानों में श्रेष्ठ और अत्यन्त धनी होते हैं ॥९॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनस्तमेव विषयमाह ॥

Anvay:

ये क्रत्वा मनसा दीध्याना देवा ह्येषां पदार्थानां कार्य्यसिद्ध्यर्थमपोऽभ्यजुषन्त सुकर्मा देवानामिन्द्रस्य वरुणस्य विभ्वा वाजो देवानां मध्य ऋभुक्षा अभवत् ते स च श्रीमन्तो जायन्ते ॥९॥

Word-Meaning: - (अपः) विमानादिनिर्माणसाधकं कर्म (हि) यतः (एषाम्) (अजुषन्त) जुषन्ते (देवाः) विद्वांसः (अभि) (क्रत्वा) प्रज्ञया (मनसा) विज्ञानेन (दीध्यानाः) देदीप्यमानाः (वाजः) अन्नादि (देवानाम्) विदुषाम् (अभवत्) भवति (सुकर्मा) शोभनानि कर्माणि यस्य सः (इन्द्रस्य) विद्युदादेः (ऋभुक्षाः) महान्। ऋभुक्षा इति महन्नामसु पठितम्। (निघं०३.३) (वरुणस्य) जलादेः (विभ्वा) व्याप्त्या ॥९॥
Connotation: - ये मनुष्या इह सृष्टिस्थानां पदार्थानां सुपरीक्षया संयोगविभागाभ्यां श्रेष्ठान् पदार्थान् कर्माणि च निष्पादयन्ति ते विद्वद्वरा धनाढ्यतमाश्च जायन्ते ॥९॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - जी माणसे या जगात सृष्टीतील पदार्थांची उत्तम परीक्षा करून संयोग व विभाग याद्वारे श्रेष्ठ पदार्थ आणि कार्य सिद्ध करतात ती विद्वानात श्रेष्ठ व अत्यंत श्रीमंत होतात. ॥ ९ ॥