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अरं॑ म उ॒स्रया॒म्णेऽर॒मनु॑स्रयाम्णे। ब॒भ्रू यामे॑ष्व॒स्रिधा॑ ॥२४॥

English Transliteration

aram ma usrayāmṇe ram anusrayāmṇe | babhrū yāmeṣv asridhā ||

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Pad Path

अर॑म्। मे॒। उ॒स्रऽया॑म्ने। अर॑म्। अनु॑स्रऽयाम्ने। ब॒भ्रू इति॑। यामे॑षु। अ॒स्रिधा॑ ॥२४॥

Rigveda » Mandal:4» Sukta:32» Mantra:24 | Ashtak:3» Adhyay:6» Varga:30» Mantra:8 | Mandal:4» Anuvak:3» Mantra:24


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर उसी विषय को अगले मन्त्र में कहते हैं ॥

Word-Meaning: - जो (अस्रिधा) नहीं हिंसा करने (बभ्रू) और सत्य की धारणा करनेवाले (यामेषु) प्रहरों में (उस्रयाम्णे) किरणों के समान जो यान से जाता उस (मे) मेरे लिये (अरम्) समर्थ और (अनुस्रयाम्णे) शीत देश को जानेवाले मेरे लिये (अरम्) समर्थ होते हैं, वे मुझसे सेवन योग्य हैं ॥२४॥
Connotation: - जो अध्यापक और उपदेशक शीतोष्ण देश निवासी मुझको पढ़ा और उपदेश दे सकते हैं, वे सदैव मुझ से सत्कार करने योग्य होते हैं ॥२४॥ इस सूक्त में इन्द्र राजा प्रजा अध्यापक और उपदेशक के गुणों का वर्णन होने से इस सूक्त के अर्थ की पिछले सूक्त के अर्थ के साथ सङ्गति जाननी चाहिये ॥२४॥ यह ऋग्वेद संहिता के तीसरे अष्टक में छठा अध्याय तीसवाँ वर्ग तथा चतुर्थ मण्डल में बत्तीसवाँ सूक्त और तीसरा अनुवाक पूरा हुआ ॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनस्तमेव विषयमाह ॥

Anvay:

यावस्रिधा बभू्र यामेषूस्रयाम्णे मेऽरमनुस्रयाम्णे मेऽरं भवतस्तौ मया सेवनीयौ ॥२४॥

Word-Meaning: - (अरम्) अलम् (मे) मह्यम् (उस्रयाम्णे) उस्रैः किरणैरिव यानेन याति तस्मै (अरम्) अलम् (अनुस्रयाम्णे) योऽनुस्रं शीतं देशं याति तस्मै (बभ्रू) सत्यधारकौ (यामेषु) प्रहरेषु (अस्रिधा) अहिंसकौ ॥२४॥
Connotation: - यावध्यापकोपदेशकौ शीतोष्णदेशनिवासिनं मामध्यापयितुमुपदेष्टुं च शक्नुतस्तौ सदैव मया सत्कर्त्तव्यौ भवत इति ॥२४॥ अत्रेन्द्रराजप्रजाध्यापकोपदेशकगुणवर्णनादेतदर्थस्य पूर्वसूक्तार्थेन सह सङ्गतिर्वेद्या ॥२४॥ इत्यृक्संहितायां तृतीयाष्टके षष्ठोऽध्यायस्त्रिंशो वर्गश्चतुर्थमण्डले द्वात्रिंशत्तमं सूक्तं तृतीयोऽनुवाकश्च समाप्तः ॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - जे शीतोष्ण देशातील निवासी असणारे अध्यापक व उपदेशक मला शिकवून, उपदेश देऊ शकतात त्यांचा माझ्याकडून सदैव सत्कार व्हावा. ॥ २४ ॥