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क॒नी॒न॒केव॑ विद्र॒धे नवे॑ द्रुप॒दे अ॑र्भ॒के। ब॒भ्रू यामे॑षु शोभेते ॥२३॥

English Transliteration

kanīnakeva vidradhe nave drupade arbhake | babhrū yāmeṣu śobhete ||

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Pad Path

क॒नी॒न॒काऽइ॑व। वि॒द्र॒धे। नवे॑। द्रु॒ऽप॒दे। अ॒र्भ॒के। ब॒भ्रू इति॑। यामे॑षु। शो॒भे॒ते॒ इति॑ ॥२३॥

Rigveda » Mandal:4» Sukta:32» Mantra:23 | Ashtak:3» Adhyay:6» Varga:30» Mantra:7 | Mandal:4» Anuvak:3» Mantra:23


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर उसी विषय को अगले मन्त्र में कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे विद्वानो ! आप जो (बभ्रू) अध्यापक और उपदेशक (यामेषु) प्रहरों में (कनीनकेव) सुन्दर के तुल्य (नवे) नवीन (विद्रधे) विशेष दृढ़ (द्रुपदे) शीघ्र प्राप्त होने योग्य पदार्थ वा वृक्ष आदि द्रव्यों के स्थान और (अर्भके) छोटे बालक के निमित्त (शोभेते) शोभित होते हैं, उनके सदृश संसार के उपकार करनेवाले होने को योग्य हों ॥२३॥
Connotation: - इस मन्त्र में उपमालङ्कार है । जो विद्वान् अधिक वा न्यून विज्ञान में वा काम में सुशोभित हों, वे जगत् के बीच कल्याण करनेवाले हों ॥२३॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनस्तमेव विषयमाह ॥

Anvay:

हे विद्वांसौ ! भवन्तौ यौ बभ्रू यामेषु कनीनकेव नवे विद्रधे द्रुपदे अर्भके शोभेते ताविव जगदुपकारकौ भवितुमर्हतः ॥२३॥

Word-Meaning: - (कनीनकेव) कमनीयेव (विद्रधे) विशेषेण दृढे (नवे) नवीने (द्रुपदे) सद्यः प्रापणीये वृक्षादिद्रव्यपदे वा (अर्भके) अल्पे (बभ्रू) अध्यापकोपदेशकौ (यामेषु) प्रहरेषु (शोभेते) ॥२३॥
Connotation: - अत्रोपमालङ्कारः । ये विद्वांसोऽधिकेऽल्पे विज्ञाने कर्मणि वा सुशोभिताः स्युस्ते जगति कल्याणकाराः स्युः ॥२३॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - या मंत्रात उपमालंकार आहे. जे विद्वान अधिक किंवा न्यून विज्ञानाने किंवा कार्य करण्यामुळे सुशोभित होतात ते जगाचे कल्याणकर्ते ठरतात. ॥ २३ ॥