प्र ते॑ ब॒भ्रू वि॑चक्षण॒ शंसा॑मि गोषणो नपात्। माभ्यां॒ गा अनु॑ शिश्रथः ॥२२॥
pra te babhrū vicakṣaṇa śaṁsāmi goṣaṇo napāt | mābhyāṁ gā anu śiśrathaḥ ||
प्र। ते॒। ब॒भ्रू इति॑। वि॒ऽच॒क्ष॒ण॒। शंसा॑मि। गो॒ऽस॒नः॒। न॒पा॒त्। मा। आ॒भ्या॒म्। गाः। अनु॑। शि॒श्र॒थः॒ ॥२२॥
SWAMI DAYANAND SARSWATI
फिर उसी विषय को अगले मन्त्र में कहते हैं ॥
SWAMI DAYANAND SARSWATI
पुनस्तमेव विषयमाह ॥
हे गोषणो विचक्षण ! यौ बभ्रू अहं प्रशंसामि तौ ते शिक्षकौ स्याताम्। आभ्यां त्वं नपात् सन् गा मानु शिश्रथः ॥२२॥
MATA SAVITA JOSHI
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