भूरि॑दा॒ भूरि॑ देहि नो॒ मा द॒भ्रं भूर्या भ॑र। भूरि॒ घेदि॑न्द्र दित्ससि ॥२०॥
bhūridā bhūri dehi no mā dabhram bhūry ā bhara | bhūri ghed indra ditsasi ||
भूरि॑ऽदाः। भूरि॑। दे॒हि॒। नः॒। मा। द॒भ्रम्। भूरि॑। आ। भ॒र॒। भूरि॑। घ॒। इत्। इ॒न्द्र॒। दि॒त्स॒सि॒ ॥२०॥
SWAMI DAYANAND SARSWATI
फिर उसी विषय को अगले मन्त्र में कहते हैं ॥
SWAMI DAYANAND SARSWATI
पुनस्तमेव विषयमाह ॥
हे इन्द्र ! यस्त्वं नो भूरि दित्ससि स भूरिदास्त्वं नो भूरि देहि भूर्याभर दभ्रं घेन्मा देहि दभ्रमिन्माभर ॥२०॥
MATA SAVITA JOSHI
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