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भृमि॑श्चिद्घासि॒ तूतु॑जि॒रा चि॑त्र चि॒त्रिणी॒ष्वा। चि॒त्रं कृ॑णोष्यू॒तये॑ ॥२॥

English Transliteration

bhṛmiś cid ghāsi tūtujir ā citra citriṇīṣv ā | citraṁ kṛṇoṣy ūtaye ||

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Pad Path

भृमिः॑। चि॒त्। घ॒। अ॒सि॒। तूतु॑जिः। आ। चि॒त्र॒। चि॒त्रिणी॑षु। आ। चि॒त्रम्। कृ॒णो॒षि॒। ऊ॒तये॑ ॥२॥

Rigveda » Mandal:4» Sukta:32» Mantra:2 | Ashtak:3» Adhyay:6» Varga:27» Mantra:2 | Mandal:4» Anuvak:3» Mantra:2


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर उसी विषय को अगले मन्त्र में कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे (चित्र) आश्चर्य्यवान् गुण, कर्म स्वभावयुक्त (तूतुजिः) शीघ्रकारी (भृमिः) घूमनेवाले आप (ऊतये) रक्षा आदि के लिये (चित्रिणीषु) अद्भुत सेनाओं में (चित्रम्) अद्भुत व्यवहार को (आ, कृणोषि) करते हो (चित्) और (आ, घ, असि) अभीष्टकारी होते हो, इससे सत्कार करने योग्य हो ॥२॥
Connotation: - हे राजन् ! जो आप सब जगह घूमके शीघ्र न्याय करके सब की रक्षा करें तो आपकी आश्चर्यजनक प्रजा अद्भुत ऐश्वर्य की उन्नति करे ॥२॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनस्तमेव विषयमाह ॥

Anvay:

हे चित्र ! तूतुजिर्भृमिस्त्वमूतये चित्रिणीषु चित्रमाकृणोषि चिदाघासि तस्मात् सत्कर्त्तव्योऽसि ॥२॥

Word-Meaning: - (भृमिः) भ्रमणशीलः (चित्) अपि (घ) (असि) अभीष्टकारी भवसि (तूतुजिः) शीघ्रकारी (आ) (चित्र) आश्चर्यगुणकर्मस्वभाव (चित्रिणीषु) अद्भुतासु सेनासु (आ) (चित्रम्) अद्भुतम् (कृणोषि) (ऊतये) रक्षाद्याय ॥२॥
Connotation: - हे राजन् ! यदि भवान्त्सर्वत्र भ्रमित्वा सद्यो न्यायं कृत्वा सर्वस्य रक्षां कुर्यात्तर्हि भवत आश्चर्याः प्रजा अद्भुतमैश्वर्यमुन्नयेयुः ॥२॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - हे राजा! जर तू सर्व स्थानी फिरून तात्काळ न्याय करून सर्वांचे रक्षण केलेस तर तुझी प्रजा आश्चर्यकारक अद्भुत ऐश्वर्य वाढवील. ॥ २ ॥