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स॒हस्रं॒ व्यती॑नां यु॒क्ताना॒मिन्द्र॑मीमहे। श॒तं सोम॑स्य खा॒र्यः॑ ॥१७॥

English Transliteration

sahasraṁ vyatīnāṁ yuktānām indram īmahe | śataṁ somasya khāryaḥ ||

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Pad Path

स॒हस्र॑म्। व्यती॑नाम्। यु॒क्ताना॑म्। इन्द्र॑म्। ई॒म॒हे॒। श॒तम्। सोम॑स्य। खा॒र्यः॑ ॥१७॥

Rigveda » Mandal:4» Sukta:32» Mantra:17 | Ashtak:3» Adhyay:6» Varga:30» Mantra:1 | Mandal:4» Anuvak:3» Mantra:17


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर उसी विषय को अगले मन्त्र में कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे धनाढ्य पुरुष (व्यतीनाम्) गमन करनेवाले (युक्तानाम्) उत्तम प्रकार सावधान चित्त हुए जनों का (सहस्रम्) एक सहस्र और (सोमस्य) धान्य आदि ऐश्वर्य की (खार्यः, शतम्) सौ खारी अर्थात् सौ मन तुले हुए अन्न आदि पदार्थ हैं उनकी (इन्द्रम्) दुष्टों को नाश करनेवाले राजा को प्राप्त होकर (ईमहे) याचना करते हैं ॥१७॥
Connotation: - जो धनाढ्य जनों को प्राप्त होकर असङ्ख्य पदार्थों की याचना करते हैं, वे थोड़ा पाते हैं और जो याचना नहीं करते हैं, वे बहुत पाते हैं ॥१७॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनस्तमेव विषयमाह ॥

Anvay:

हे धनाढ्य ! व्यतीनां युक्तानां सहस्रं सोमस्य खार्यः शतं सन्ति ता इन्द्रं प्राप्येमहे ॥१७॥

Word-Meaning: - (सहस्रम्) (व्यतीनाम्) गमनकर्तॄणाम् (युक्तानाम्) समाहितानाम् (इन्द्रम्) दुष्टदर्त्तारं राजानम् (ईमहे) याचामहे (शतम्) (सोमस्य) धान्याद्यैश्वर्यस्य (खार्यः) एतत्परिमाणमितान्यन्नादीनि ॥१७॥
Connotation: - ये धनाढ्यान् प्राप्यासंख्यान् पदार्थान् याचन्ते ते स्वल्पं लभन्ते ये च न याचन्ते ते बहु प्राप्नुवन्ति ॥१७॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - जे धनाढ्य लोकांजवळ असंख्य पदार्थांची याचना करतात त्यांना थोडे मिळते व जे याचना करीत नाहीत त्यांना जास्त मिळते. ॥ १७ ॥