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अ॒र्वा॒ची॒नो व॑सो भवा॒स्मे सु म॒त्स्वान्ध॑सः। सोमा॑नामिन्द्र सोमपाः ॥१४॥

English Transliteration

arvācīno vaso bhavāsme su matsvāndhasaḥ | somānām indra somapāḥ ||

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Pad Path

अ॒र्वा॒ची॒नः। व॒सो॒ इति॑। भ॒व॒। अस्मे इति॑। सु। म॒त्स्व॒। अन्ध॑सः। सोमा॑नाम्। इ॒न्द्र॒। सो॒म॒ऽपाः॒ ॥१४॥

Rigveda » Mandal:4» Sukta:32» Mantra:14 | Ashtak:3» Adhyay:6» Varga:29» Mantra:4 | Mandal:4» Anuvak:3» Mantra:14


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर उसी विषय को अगले मन्त्र में कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे (वसो) वास करनेवाले (इन्द्र) राजन् ! (अर्वाचीनः) इस काल में वर्त्तमान (सोमपाः) ऐश्वर्य्य की रक्षा करनेवाले आप (अस्मे) हम लोगों में (अन्धसः) अन्न आदि और (सोमानाम्) अन्य पदार्थों के रक्षक (भव) हूजिये और (सु, मत्स्व) उत्तम प्रकार आनन्द कीजिये ॥१४॥
Connotation: - जो राजा प्रजा के पदार्थों की यथायोग्य रक्षा करे, वह आगे के समय में सुख की वृद्धियुक्त होवे ॥१४॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनस्तमेव विषयमाह ॥

Anvay:

हे वसो इन्द्र ! अर्वाचीनः सोमपास्त्वमस्मेऽन्धसः सोमानां रक्षको भव सु मत्स्व ॥१४॥

Word-Meaning: - (अर्वाचीनः) इदानीन्तनः (वसो) वासकर्त्तः (भव) (अस्मे) अस्मासु (सु) (मत्स्व) आनन्द (अन्धसः) अन्नादेः (सोमानाम्) पदार्थानाम् (इन्द्र) राजन् (सोमपाः) यः सोममैश्वर्य्यं पाति सः ॥१४॥
Connotation: - यो राजा प्रजापदार्थानां यथावद्रक्षां कुर्यात् स उत्तरकाले वृद्धसुखः स्यात् ॥१४॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - जो राजा प्रजेच्या पदार्थांचे यथायोग्य रक्षण करतो तो पुढे सुखाची वृद्धी करणारा असतो. ॥ १४ ॥