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अवी॑वृधन्त॒ गोत॑मा॒ इन्द्र॒ त्वे स्तोम॑वाहसः। ऐषु॑ धा वी॒रव॒द्यशः॑ ॥१२॥

English Transliteration

avīvṛdhanta gotamā indra tve stomavāhasaḥ | aiṣu dhā vīravad yaśaḥ ||

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अवी॑वृधन्त। गोत॑माः। इन्द्र॑। त्वे इति॑। स्तोमऽवाहसः। आ। ए॒षु॒। धाः॒। वी॒रऽव॑त्। यशः॑ ॥१२॥

Rigveda » Mandal:4» Sukta:32» Mantra:12 | Ashtak:3» Adhyay:6» Varga:29» Mantra:2 | Mandal:4» Anuvak:3» Mantra:12


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर उसी विषय को अगले मन्त्र में कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे (इन्द्र) विद्वन् जो (स्तोमवाहसः) प्रशंसा को प्राप्त करानेवाले (गोतमाः) विद्वान् जन (त्वे) आप में (वीरवत्) वीर पुरुष जिसमें विद्यमान उस (यशः) कीर्ति वा धन को (अवीवृधन्त) बढ़ावें (एषु) इनमें आप वीरयुक्त कीर्ति वा धन को (आ, धाः) अच्छे प्रकार धारण कीजिये ॥१२॥
Connotation: - हे राजन् ! जो लोग उत्तम कर्म्म से आपकी कीर्ति को बढ़ावें, उनकी कीर्ति आप भी बढ़ाइये ॥१२॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनस्तमेव विषयमाह ॥

Anvay:

हे इन्द्र ! ये स्तोमवाहसो गोतमास्त्वे वीरवद्यशोऽवीवृधन्तैषु त्वं वीरवद्यश आ धाः ॥१२॥

Word-Meaning: - (अवीवृधन्त) वर्धन्तु (गोतमाः) विद्वांसः (इन्द्र) विद्वन् ! (त्वे) त्वयि (स्तोमवाहसः) प्रशंसाप्रापकाः (आ) (एषु) (धाः) धेहि (वीरवत्) वीरा विद्यन्ते यस्मिंस्तत् (यशः) कीर्तिं धनं वा ॥१२॥
Connotation: - हे राजन् ! ये सत्कर्मणा तव कीर्त्तिं वर्धयेयुस्तेषां कीर्त्तिं त्वमपि वर्धय ॥१२॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - हे राजा! जे लोक उत्तम कर्म करून तुझी कीर्ती वाढवितात त्यांची कीर्ती तूही वाढव. ॥ १२ ॥