अ॒भी न॒ आ व॑वृत्स्व च॒क्रं न वृ॒त्तमर्व॑तः। नि॒युद्भि॑श्चर्षणी॒नाम् ॥४॥
abhī na ā vavṛtsva cakraṁ na vṛttam arvataḥ | niyudbhiś carṣaṇīnām ||
अ॒भि। नः॒। आ। व॒वृ॒त्स्व॒। च॒क्रम्। न। वृ॒त्तम्। अर्व॑तः। नि॒युत्ऽभिः॑। च॒र्ष॒णी॒नाम् ॥४॥
SWAMI DAYANAND SARSWATI
फिर उसी विषय को अगले मन्त्र में कहते हैं ॥
SWAMI DAYANAND SARSWATI
पुनस्तमेव विषयमाह ॥
हे राजँस्त्वं नोऽस्मान् वृत्तं चक्रं न सत्कर्मस्वभ्याववृत्स्व नियुद्भिः सह चर्षणीनामर्वतश्चाभ्याववृत्स्व ॥४॥
MATA SAVITA JOSHI
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