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कस्त्वा॑ स॒त्यो मदा॑नां॒ मंहि॑ष्ठो मत्स॒दन्ध॑सः। दृ॒ळ्हा चि॑दा॒रुजे॒ वसु॑ ॥२॥

English Transliteration

kas tvā satyo madānām maṁhiṣṭho matsad andhasaḥ | dṛḻhā cid āruje vasu ||

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Pad Path

कः। त्वा॒। स॒त्यः। मदा॑नाम्। मंहि॑ष्ठः। म॒त्स॒त्। अन्ध॑सः। दृ॒ळ्हा। चि॒त्। आ॒ऽरुजे॑। वसु॑ ॥२॥

Rigveda » Mandal:4» Sukta:31» Mantra:2 | Ashtak:3» Adhyay:6» Varga:24» Mantra:2 | Mandal:4» Anuvak:3» Mantra:2


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर उसी विषय को अगले मन्त्र में कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे मनुष्य (मदानाम्) आनन्दों और (अन्धसः) अन्न आदि के सम्बन्ध में (मंहिष्ठः) अत्यन्त बड़ा (सत्यः) श्रेष्ठों में श्रेष्ठ (त्वा) आपको (मत्सत्) आनन्द देवे और (आरुजे) सब प्रकार से रोग के लिये (दृळ्हा) दृढ़ (वसु) धनरूप (चित्) भी (कः) कौन होवे अर्थात् रोग के दूर करने को अत्यन्त संलग्न कौन हो ॥२॥
Connotation: - जो मनुष्य ब्रह्मचर्य्य आदि धर्म्माचरण से यथायोग्य आहार और विहार करें तो उनमें कभी दारिद्र्य और रोग नहीं आवे ॥२॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनस्तमेव विषयमाह ॥

Anvay:

हे मनुष्य ! मदानामन्धसो मंहिष्ठः सत्यस्त्वा मत्सदारुजे दृळ्हा वसु चित्को भवेत् ॥२॥

Word-Meaning: - (कः) (त्वा) (सत्यः) सत्सु साधुः (मदानाम्) आनन्दानाम् (मंहिष्ठः) अतिशयेन महान् (मत्सत्) आनन्दयेत् (अन्धसः) अन्नादेः (दृळ्हा) दृढानि (चित्) अपि (आरुजे) समन्ताद्रोगाय (वसु) धनानि ॥२॥
Connotation: - यदि मनुष्या ब्रह्मचर्यादिधर्म्माचरणेन यथावदाहारविहारौ कुर्युस्तर्हि तेषु कदाचिद्दारिद्र्यं रोगश्च नैवागच्छेत् ॥२॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - जर माणसांनी ब्रह्मचर्य इत्यादी धर्माचरणाने यथायोग्य आहार-विहार केला तर त्यांना दारिद्र्य व रोग घेरत नाहीत. ॥ २ ॥