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अ॒स्माँ इ॒हा वृ॑णीष्व स॒ख्याय॑ स्व॒स्तये॑। म॒हो रा॒ये दि॒वित्म॑ते ॥११॥

English Transliteration

asmām̐ ihā vṛṇīṣva sakhyāya svastaye | maho rāye divitmate ||

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Pad Path

अ॒स्मान्। इ॒ह। वृ॒णी॒ष्व॒। स॒ख्याय॑। स्व॒स्तये॑। म॒हः। रा॒ये। दि॒वित्म॑ते ॥११॥

Rigveda » Mandal:4» Sukta:31» Mantra:11 | Ashtak:3» Adhyay:6» Varga:26» Mantra:1 | Mandal:4» Anuvak:3» Mantra:11


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर उसी विषय को अगले मन्त्र में कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे तेजस्वी राजन् ! आप (इह) इस संसार वा राज्य में (अस्मान्) हम लोगों को (स्वस्तये) सुख के लिये (महः) बड़े (दिवित्मते) विद्या, धर्म्म और न्याय से प्रकाशित (सख्याय) मित्रत्व के लिये और (राये) धन के लिये (वृणीष्व) स्वीकार करो ॥११॥
Connotation: - हे राजन् ! जैसे आप हम लोगों में मित्रता रखते हैं, वैसे हम लोग भी आप में सदा ही मित्र हुए वर्त्ताव करें ॥११॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनस्तमेव विषयमाह ॥

Anvay:

हे इन्द्र ! राजँस्त्वमिहास्मान् स्वस्तये महो दिवित्मते सख्याय राये च वृणीष्व ॥११॥

Word-Meaning: - (अस्मान्) (इहा) संसारे राज्ये वा। अत्र संहितायामिति दीर्घः। (वृणीष्व) स्वीकुर्याः (सख्याय) मित्रत्वाय (स्वस्तये) सुखाय (महः) महते (राये) धनाय (दिवित्मते) विद्याधर्म्मन्यायप्रकाशिताय ॥११॥
Connotation: - हे राजन् ! यथा भवानस्मासु मैत्रीं रक्षति तथा वयमपि त्वयि सदैव सखायः सन्तो वर्त्तेमहि ॥११॥
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MATA SAVITA JOSHI

N/A

Word-Meaning: - N/A
Connotation: - हे राजा! जशी तू आमच्याबरोबर मैत्री ठेवतोस तसे आम्हीही तुझ्याबरोबर सदैव मैत्रीचे वर्तन करावे. ॥ ११ ॥