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अ॒स्माँ अ॑वन्तु ते श॒तम॒स्मान्त्स॒हस्र॑मू॒तयः॑। अ॒स्मान्विश्वा॑ अ॒भिष्ट॑यः ॥१०॥

English Transliteration

asmām̐ avantu te śatam asmān sahasram ūtayaḥ | asmān viśvā abhiṣṭayaḥ ||

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Pad Path

अ॒स्मान्। अ॒व॒न्तु॒। ते॒। श॒तम्। अ॒स्मान्। स॒हस्र॑म्। ऊ॒तयः॑। अ॒स्मान्। विश्वाः॑। अ॒भिष्ट॑यः ॥१०॥

Rigveda » Mandal:4» Sukta:31» Mantra:10 | Ashtak:3» Adhyay:6» Varga:25» Mantra:5 | Mandal:4» Anuvak:3» Mantra:10


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर उसी विषय को अगले मन्त्र में कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे राजन् ! (ते) आपकी (सहस्रम्) अनेक प्रकार की (ऊतयः) रक्षाएँ (शतम्) संख्यारहित (विश्वाः) सम्पूर्ण (अभिष्टयः) इच्छाएँ (अस्मान्) हम लोगों की (अवन्तु) रक्षा और (अस्मान्) हम लागों की वृद्धि करें (अस्मान्) तथा हम लोगों को आनन्द देवें ॥१०॥
Connotation: - हे राजन् ! तभी आप सत्य राजा होवें, जब अपने और पिता के सदृश हम लोगों का पालन और वृद्धि करा के आनन्द देवें ॥१०॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनस्तमेव विषयमाह ॥

Anvay:

हे राजन् ! ते सहस्रमूतयः शतं विश्वा अभिष्टयोऽस्मानवन्त्वस्मान् वर्द्धयन्त्वस्मानानन्दयन्तु ॥१०॥

Word-Meaning: - (अस्मान्) (अवन्तु) (ते) तव (शतम्) असंख्याः (अस्मान्) (सहस्रम्) बहुविधाः (ऊतयः) रक्षाः (अस्मान्) (विश्वाः) सर्वाः (अभिष्टयः) इष्टय इच्छाः ॥१०॥
Connotation: - हे राजँस्तदैव त्वं सत्यो राजा भवेर्यदा स्वात्मवत्पितृवदस्मान् पालयित्वा वर्द्धयित्वाऽऽनन्दयेः ॥१०॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - हे राजा! जेव्हा तू स्वतःसारखे व पित्यासारखे आमचे पालन व वाढ करून आनंद देशील. तेव्हाच तू खरा राजा होशील. ॥ १० ॥