Go To Mantra

कया॑ नश्चि॒त्र आ भु॑वदू॒ती स॒दावृ॑धः॒ सखा॑। कया॒ शचि॑ष्ठया वृ॒ता ॥१॥

English Transliteration

kayā naś citra ā bhuvad ūtī sadāvṛdhaḥ sakhā | kayā śaciṣṭhayā vṛtā ||

Mantra Audio
Pad Path

कया॑। नः॒। चि॒त्रः। आ। भु॒व॒त्। ऊ॒ती। स॒दाऽवृ॑धः। सखा॑। कया॑। शचि॑ष्ठया। वृ॒ता ॥१॥

Rigveda » Mandal:4» Sukta:31» Mantra:1 | Ashtak:3» Adhyay:6» Varga:24» Mantra:1 | Mandal:4» Anuvak:3» Mantra:1


Reads times

SWAMI DAYANAND SARSWATI

अब पन्द्रह ऋचावाले इकतीसवें सूक्त का प्रारम्भ है, उसके प्रथम मन्त्र में राजप्रजाधर्मविषय को कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे राजन् ! (सदावृधः) सर्वदा वृद्धि को प्राप्त होते हुए आप (नः) हम लोगों की (कया) किस (ऊती) रक्षण आदि क्रिया के साथ और (कया) किस (शचिष्ठया) अत्यन्त श्रेष्ठ वाणी बुद्धि वा कर्म्म जो (वृता) संयुक्त उससे (चित्रः) अद्भुत गुण, कर्म्म और स्वभाववाले (सखा) मित्र (आ, भुवत्) हूजिये ॥१॥
Connotation: - हे राजन् ! आपको चाहिये कि हम लोगों के साथ, वैसे कर्म्म करें कि जिनसे हम लोगों की प्रीति बढ़े ॥१॥
Reads times

SWAMI DAYANAND SARSWATI

अथ राजप्रजाधर्ममाह ॥

Anvay:

हे राजन् ! सदावृधस्त्वं नः कयोती, कया शचिष्ठया वृता चित्रः सखा आ भुवत् ॥१॥

Word-Meaning: - (कया) (नः) अस्माकम् (चित्रः) अद्भुतगुणकर्मस्वभावः (आ) (भुवत्) भवेः (ऊती) ऊत्या रक्षणादिक्रियया सह (सदावृधः) सर्वदा वर्धमानः (सखा) (कया) (शचिष्ठया) अतिशयेन श्रेष्ठया वाचा प्रज्ञया कर्मणा वा (वृता) संयुक्तया ॥१॥
Connotation: - हे राजन् ! भवतास्माभिस्सह तादृशानि कर्माणि कर्त्तव्यानि यैरस्माकं प्रीतिर्वर्द्धेत ॥१॥
Reads times

MATA SAVITA JOSHI

या सूक्तात राजा व प्रजेच्या धर्माचे वर्णन असल्यामुळे या सूक्ताच्या अर्थाची पूर्व सूक्तार्थाबरोबर संगती जाणली पाहिजे.

Word-Meaning: - N/A
Connotation: - हे राजा! आमच्याबरोबर असे वाग की ज्यामुळे आमचे प्रेम वाढावे. ॥ १ ॥ ००