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उ॒त दा॒सं कौ॑लित॒रं बृ॑ह॒तः पर्व॑ता॒दधि॑। अवा॑हन्निन्द्र॒ शम्ब॑रम् ॥१४॥

English Transliteration

uta dāsaṁ kaulitaram bṛhataḥ parvatād adhi | avāhann indra śambaram ||

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Pad Path

उ॒त। दा॒सम्। कौ॒लि॒ऽत॒रम्। बृ॒ह॒तः। पर्व॑तात्। अधि॑। अव॑। अ॒ह॒न्। इ॒न्द्र॒। शम्ब॑रम् ॥१४॥

Rigveda » Mandal:4» Sukta:30» Mantra:14 | Ashtak:3» Adhyay:6» Varga:21» Mantra:4 | Mandal:4» Anuvak:3» Mantra:14


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर सूर्यदृष्टान्त से राजविषय को अगले मन्त्र में कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे (इन्द्र) तेजस्वि राजन् ! आप जैसे सूर्य्य (बृहतः) बड़े (पर्वतात्) पर्वत से (अधि) ऊपर (शम्बरम्) सुख प्राप्त होता है, जिससे उस मेघ को (अव, अहन्) नाश करता और (उत) भी प्रजाओं को पालता है, वैसे ही शत्रुओं का नाश करके (कौलितरम्) अत्यन्त कुलीन (दासम्) सेवक का पालन करो ॥१४॥
Connotation: - हे मनुष्यो ! जैसे सूर्य्य मेघ से जल को पृथिवी में गिरा के सब को जिलाता है, वैसे ही पर्वत के ऊपर स्थित भी डाकुओं को नीचे गिरा के प्रजाओं का पालन करो ॥१४॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनः सूर्यदृष्टान्तेन राजविषयमाह ॥

Anvay:

हे इन्द्र ! त्वं यथा सूर्य्यो बृहतः पर्वतादधि शम्बरमवाहन्नुतापि प्रजाः पालयसि तथैव शत्रून् हत्वा कौलितरं दासं पालय ॥१४॥

Word-Meaning: - (उत) (दासम्) सेवकम् (कौलितरम्) अतिशयेन कुलीनम् (बृहतः) महतः (पर्वतात्) शैलात् (अधि) उपरि (अव) (अहन्) हन्ति (इन्द्र) (शम्बरम्) शं सुखं वृणोति यस्मात्तं मेघम् ॥१४॥
Connotation: - हे मनुष्या ! यथा सूर्य्यो मेघाज्जलं भूमौ निपात्य सर्वाञ्जीवयति तथैव पर्वतोपरिस्थानपि दस्यूनधो निपात्य प्रजाः पालयतः ॥१४॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - हे माणसांनो! सूर्य जसा पृथ्वीवर मेघांची वृष्टी करून सर्वांना वाचवितो, तसेच पर्वतावर राहणाऱ्या दुष्ट लोकांना खाली खेचून नष्ट करून प्रजेचे पालन करा. ॥ १४ ॥