Go To Mantra

ए॒तद॑स्या॒ अनः॑ शये॒ सुसं॑पिष्टं॒ विपा॒श्या। स॒सार॑ सीं परा॒वतः॑ ॥११॥

English Transliteration

etad asyā anaḥ śaye susampiṣṭaṁ vipāśy ā | sasāra sīm parāvataḥ ||

Mantra Audio
Pad Path

ए॒तत्। अ॒स्याः॒। अनः॑। श॒ये॒। सुऽस॑म्पिष्टम्। विऽपा॑शि। आ। स॒सार॑। सी॒म्। प॒रा॒ऽवतः॑ ॥११॥

Rigveda » Mandal:4» Sukta:30» Mantra:11 | Ashtak:3» Adhyay:6» Varga:21» Mantra:1 | Mandal:4» Anuvak:3» Mantra:11


Reads times

SWAMI DAYANAND SARSWATI

अब सूर्य्यविषय को अगले मन्त्र में कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे विद्वन् ! जैसे (सीम्) सूर्य्य (अस्याः) इस प्रातःकाल का (एतत्) यह (सुसम्पिष्टम्) उत्तम प्रकार एक स्थान में पीसा चूर्ण हो जिसमें उस अन्धकार को (अनः) गाड़ी के सदृश (विपाशि) बन्धनरहित मार्ग में (परावतः) दूर देश से (आ, ससार) सब प्रकार चलता है, जिसमें मैं (शये) शयन करूँ, वैसे इसको आप जानिये ॥११॥
Connotation: - इस मन्त्र में वाचकलुप्तोपमालङ्कार है। जैसे श्रेष्ठ वाहन शीघ्र दूर जाते हैं, वैसे ही प्रातःकाल दूर जाता है, ऐसा जानना चाहिये ॥११॥
Reads times

SWAMI DAYANAND SARSWATI

[अथ] पुनः सूर्य्यविषयमाह ॥

Anvay:

हे विद्वन् ! यथा सीमादित्योऽस्या उषस एतत् सुसम्पिष्टमनो विपाशि परावत आ ससार यस्यामहं शये तथैतां त्वं विजानीहि ॥११॥

Word-Meaning: - (एतत्) (अस्याः) उषसः (अनः) शकटमिव (शये) शयनं कुर्य्याम् (सुसम्पिष्टम्) सुष्ठ्वेकत्र पिष्टं यस्मिँस्तत् (विपाशि) विगतपाशे बन्धनरहिते मार्गे (आ) (ससार) समन्ताद्गच्छति (सीम्) आदित्यः (परावतः) दूरदेशात् ॥११॥
Connotation: - अत्र वाचकलुप्तोपमालङ्कारः। यथा श्रेष्ठानि यानानि सद्यो दूरं यान्ति तथैवोषा दूरं गच्छतीति वेद्यम् ॥११॥
Reads times

MATA SAVITA JOSHI

N/A

Word-Meaning: - N/A
Connotation: - या मंत्रात वाचकलुप्तोपमालंकार आहे. जशी उत्तम वाहने लवकर दूरवर जातात तसाच प्रातःकाल दूरवर पोचतो हे जाणले पाहिजे. ॥ ११ ॥