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अपो॒षा अन॑सः सर॒त्संपि॑ष्टा॒दह॑ बि॒भ्युषी॑। नि यत्सीं॑ शि॒श्नथ॒द्वृषा॑ ॥१०॥

English Transliteration

apoṣā anasaḥ sarat sampiṣṭād aha bibhyuṣī | ni yat sīṁ śiśnathad vṛṣā ||

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Pad Path

अप॑। उ॒षाः। अन॑सः। स॒र॒त्। सम्ऽपिष्टा॑त्। अह॑। बि॒भ्युषी॑। नि। यत्। सी॒म्। शि॒श्नथ॑त्। वृषा॑ ॥१०॥

Rigveda » Mandal:4» Sukta:30» Mantra:10 | Ashtak:3» Adhyay:6» Varga:20» Mantra:5 | Mandal:4» Anuvak:3» Mantra:10


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर उसी विषय को अगले मन्त्र में कहते हैं ॥

Word-Meaning: - जो (वृषा) बलिष्ठ राजा जैसे (बिभ्युषी) भय देनेवाली (उषाः) प्रातर्वेला (अनसः) गाड़ी के अग्रभाग के सदृश आगे चलनेवाली (सम्पिष्टात्) चूर्णित हुए (अह) ही अन्धकार से (अप, सरत्) आगे चलती है (यत्) जो (सीम्) सब प्रकार (नि, शिश्नथत्) शिथिल करती है, वैसा आचरण करे, वह सूर्य्य के सदृश तेजस्वी होवे ॥१०॥
Connotation: - इस मन्त्र में वाचकलुप्तोपमालङ्कार है। जैसे रथ का अग्रभाग आगे होता है, वैसे ही सूर्य्य के आगे प्रातःकाल चलता है और जैसे सूर्य्य अन्धकार का नाश करता है, वैसे राजा अन्याय के आचार का नाश करे ॥१०॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनस्तमेव विषयमाह ॥

Anvay:

यो वृषा यथा बिभ्युषी उषा अनसोऽग्रमिव सम्पिष्टादहाप सरद् यद् या सीं नि शिश्नथत् तथाचरेत् स सूर्य्य इव तेजस्वी भवेत् ॥१०॥

Word-Meaning: - (अप) (उषाः) प्रातर्वेलेव (अनसः) शकटस्याग्रम् (सरत्) सरति (सम्पिष्टात्) सञ्चूर्णितात् (अह) (बिभ्युषी) भयप्रदा (नि) (यत्) या (सीम्) सर्वतः (शिश्नथत्) शिथिलीकरोति (वृषा) बलिष्ठो राजा ॥१०॥
Connotation: - अत्र वाचकलुप्तोपमालङ्कारः। यथा रथस्याग्रं पुरःसरं भवति तथैव सूर्य्यस्याग्र उषा गच्छति यथा सूर्य्यस्तमो हन्ति तथा राजाऽन्यायाऽऽचारं हन्यात् ॥१०॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - या मंत्रात वाचकलुप्तोपमालंकार आहे. जसा रथाचा अग्रभाग पुढे असतो तसेच सूर्याच्या पुढे प्रातःकाल असतो व जसा सूर्य अंधकाराचा नाश करतो तसे राजाने अन्यायी आचरणाचा नाश करावा. ॥ १० ॥