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अ॒हं पुरो॑ मन्दसा॒नो व्यै॑रं॒ नव॑ सा॒कं न॑व॒तीः शम्ब॑रस्य। श॒त॒त॒मं वे॒श्यं॑ स॒र्वता॑ता॒ दिवो॑दासमतिथि॒ग्वं यदाव॑म् ॥३॥

English Transliteration

aham puro mandasāno vy airaṁ nava sākaṁ navatīḥ śambarasya | śatatamaṁ veśyaṁ sarvatātā divodāsam atithigvaṁ yad āvam ||

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Pad Path

अ॒हम्। पुरः॑। म॒न्द॒सा॒नः। वि। ऐ॒र॒म्। नव॑। सा॒कम्। न॒व॒तीः। शम्ब॑रस्य। श॒त॒ऽत॒मम्। वे॒श्य॑म्। स॒र्वऽता॑ता। दिवः॑ऽदासम्। अ॒ति॒थि॒ग्वम्। यत्। आव॑म् ॥३॥

Rigveda » Mandal:4» Sukta:26» Mantra:3 | Ashtak:3» Adhyay:6» Varga:15» Mantra:3 | Mandal:4» Anuvak:3» Mantra:3


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर उसी विषय को अगले मन्त्र में कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे मनुष्यो ! जो (मन्दसानः) आनन्दस्वरूप और आनन्द देनेवाला (अहम्) मैं जगदीश्वर (पुरः) प्रथम (शम्बरस्य) मेघ के (शततमम्) अत्यन्त असंख्यात (वेश्यम्) उत्तम वेशों अर्थात् प्रवेशों में उत्पन्न (नव, नवतीः) निन्नानवे पदार्थों को (साकम्) साथ (वि, ऐरम्) प्रेरणा करूँ (सर्वताता) सब में ही मिलने योग्य जगत् में (यत्) जिस (दिवोदासम्) विज्ञानस्वरूप प्रकाश के देनेवाले (अतिथिग्वम्) अतिथियों को प्राप्त हो वा प्राप्त करावे उसकी (आवम्) रक्षा करूँ, उस मेरी उपासना करो और वह आनन्दयुक्त होता है ॥३॥
Connotation: - हे मनुष्यो ! जो जगदीश्वर जगत् की उत्पत्ति के प्रथम चेतनस्वरूप से वर्त्तमान, वह सब जगत् को उत्पन्न करके, सब के साथ सब का सम्बन्ध करके सब का हित करता है ॥३॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनस्तमेव विषयमाह ॥

Anvay:

हे मनुष्या ! यो मन्दसानोऽहं पुरः शम्बरस्य शततमं वेश्यं नव नवतीः साकं व्यैरम्। सर्वताता यद्यं दिवोदासमतिथिग्वमावन्तं मामुपाध्वं स चाऽऽनन्दी भवति ॥३॥

Word-Meaning: - (अहम्) जगदीश्वरः (पुरः) प्रथमम् (मन्दसानः) आनन्दस्वरूप आनन्दयिता (वि) (ऐरम्) प्रेरयेयम् (नव) (साकम्) सह (नवतीः) एतत्सङ्ख्याकान् पदार्थान् (शम्बरस्य) मेघस्य (शततमम्) अतिशयेनाऽसङ्ख्यातम् (वेश्यम्) वेशेषु प्रवेशेषु भवम् (सर्वताता) सर्वतातौ सर्वस्मिन्नेव सङ्गन्तव्ये जगति (दिवोदासम्) विज्ञानमयस्य प्रकाशस्य दातारम् (अतिथिग्वम्) योऽतिथीन् गच्छति गमयति वा तम् (यत्) यम् (आवम्) रक्षयेयम् ॥३॥
Connotation: - हे मनुष्या ! यो जगदीश्वरो जगदुत्पत्तेः प्राक् चेतनस्वरूपेण वर्त्तमानः स सर्वं जगदुत्पाद्य सर्वैः सह सर्वेषां सम्बन्धं विधाय सर्वहितं विदधाति ॥३॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - हे माणसांनो! जो जगदीश्वर जगाच्या उत्पत्तीच्या वेळी प्रथम चेतनस्वरूपाने वर्तमान असतो. तो सर्व जगाला उत्पन्न करून सर्वांबरोबर सर्वांचा संबंध स्थापन करून सर्वांचे हित करतो. ॥ ३ ॥