अ॒हं भूमि॑मददा॒मार्या॑या॒हं वृ॒ष्टिं दा॒शुषे॒ मर्त्या॑य। अ॒हम॒पो अ॑नयं वावशा॒ना मम॑ दे॒वासो॒ अनु॒ केत॑मायन् ॥२॥
aham bhūmim adadām āryāyāhaṁ vṛṣṭiṁ dāśuṣe martyāya | aham apo anayaṁ vāvaśānā mama devāso anu ketam āyan ||
अ॒हम्। भूमि॑म्। अ॒द॒दा॒म्। आर्या॑य। अ॒हम्। वृ॒ष्टिम्। दा॒शुषे॑। मर्त्या॑य। अ॒हम्। अ॒पः। अ॒न॒य॒म्। वा॒व॒शा॒नाः। मम॑। दे॒वासः॑। अनु॑। केत॑म्। आ॒य॒न् ॥२॥
SWAMI DAYANAND SARSWATI
फिर ईश्वर के गुणों को अगले मन्त्र में कहते हैं ॥
SWAMI DAYANAND SARSWATI
पुनरीश्वरगुणानाह ॥
हे मनुष्या ! योऽहमार्य्याय भूमिमददामहं दाशुषे मर्त्याय वृष्टिमनयमहमपोऽनयं यस्य मम वावशाना देवासः केतमन्वायंस्तं मां यूयं सेवध्वम् ॥२॥
MATA SAVITA JOSHI
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