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य॒दा स॑म॒र्यं व्यचे॒दृघा॑वा दी॒र्घं यदा॒जिम॒भ्यख्य॑द॒र्यः। अचि॑क्रद॒द्वृष॑णं॒ पत्न्यच्छा॑ दुरो॒ण आ निशि॑तं सोम॒सुद्भिः॑ ॥८॥

English Transliteration

yadā samaryaṁ vy aced ṛghāvā dīrghaṁ yad ājim abhy akhyad aryaḥ | acikradad vṛṣaṇam patny acchā duroṇa ā niśitaṁ somasudbhiḥ ||

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Pad Path

य॒दा। स॒ऽम॒र्यम्। वि। अचे॑त्। ऋघा॑वा। दी॒र्घम्। यत्। आ॒जिम्। अ॒भि। अख्य॑त्। अ॒र्यः। अचि॑क्रदत्। वृष॑णम्। पत्नी॑। अच्छ॑। दु॒रो॒णे। आ। निऽशि॑तम्। सो॒म॒सुत्ऽभिः॑ ॥८॥

Rigveda » Mandal:4» Sukta:24» Mantra:8 | Ashtak:3» Adhyay:6» Varga:12» Mantra:3 | Mandal:4» Anuvak:3» Mantra:8


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

अब शत्रुओं के विजय से राज्यादि पदार्थों के रक्षण विषय को अगले मन्त्र में कहते हैं ॥

Word-Meaning: - (यदा) जिस काल में (अर्य्यः) स्वामी ईश्वर अर्थात् राजा (समर्य्यम्) सङ्ग्राम को (वि, अचेत्) चेतन कराता है (यत्) जो (ऋघावा) शत्रुओं का नाश करनेवाला (दीर्घम्) लम्बे बहुत (आजिम्) फेंकते हैं शस्त्र जिसमें उस सङ्ग्राम की (अभि, अख्यत्) प्रसिद्धि करावे और (वृषणम्) बलिष्ठ के प्रति (अचिक्रदत्) अत्यन्त चिल्लाता है, तब (दुरोणे) गृह में (पत्नी) स्त्री के सदृश (सोमसुद्भिः) ऐश्वर्य्य वा ओषधियों के समूह को उत्पन्न करनेवालों के साथ (आ, निशितम्) अच्छे प्रकार निरन्तर तीक्ष्ण (अच्छा) अच्छा अत्यन्त शब्द करता है ॥८॥
Connotation: - इस मन्त्र में वाचकलुप्तोपमालङ्कार है। जैसे पतिव्रता स्त्री सम्पूर्ण ऐश्वर्य्यों की उत्तम प्रकार रक्षा और उन्नति करके पति आदि को आनन्द देती है, वैसे ही विद्या और विनययुक्त राजा अपने प्रजाजनों की अच्छे प्रकार रक्षा और ऐश्वर्य्य की वृद्धि करके सब सज्जनों की रक्षा करता है ॥८॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

अथ शत्रुविजयेन राज्यादिरक्षणविषयमाह ॥

Anvay:

यदाऽर्य्यः समर्य्यं व्यचेद्यदृघावा दीर्घमाजिमभ्यख्यद् वृषणमचिक्रदत्तदा दुरोणे पत्नीव सोमसुद्भिः सहानिशितमच्छाचिक्रदत् ॥८॥

Word-Meaning: - (यदा) यस्मिन् काले (समर्य्यम्) सङ्ग्रामम् (वि) (अचेत्) चेतयति (ऋघावा) शत्रूणां हन्ता (दीर्घम्) लम्बीभूतम् (यत्) यः (आजिम्) अजन्ति प्रक्षिपन्ति शस्त्राण्यस्मिंस्तम् (अभि) (अख्यत्) प्रख्यापयेत् (अर्य्यः) स्वामीश्वरो राजा (अचिक्रदत्) भृशमाक्रन्दति (वृषणम्) बलिष्ठम् (पत्नी) (अच्छा) अत्र संहितायामिति दीर्घः। (दुरोणे) गृहे (आ) (निशितम्) नितरां तीक्ष्णम् (सोमसुद्भिः) ये सोममैश्वर्य्यमोषधिगणं वा सुन्वन्ति तैः ॥८॥
Connotation: - अत्र वाचकलुप्तोपमालङ्कारः। यथा पतिव्रता स्त्री सर्वाण्यैश्वर्य्याणि संरक्ष्योन्नीय पत्यादीनानन्दयति तथैव विद्याविनयो राजा स्वप्रजाः संरक्ष्यैश्वर्य्यं वर्द्धयित्वा सर्वान्त्सज्जनान् रक्षयति ॥८॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - या मंत्रात वाचकलुप्तोपमालंकार आहे. जशी पतिव्रता स्त्री संपूर्ण ऐश्वर्याचे उत्तम प्रकारे रक्षण व उन्नती करून पतीला आनंद देते, तसेच विद्या व विनययुक्त राजा आपल्या प्रजाजनांचे चांगल्या प्रकारे रक्षण, ऐश्वर्याची वृद्धी व सर्व सज्जनांचे रक्षण करतो. ॥ ८ ॥